जैकी श्रॉफ का बचपन बहुत ही गरीबी में बीता। उनका पूरा परिवार मुंबई के एक चॉल में रहता था। पढ़ने का शौक था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न हो पाने की वजह से 11वीं के बाद ही स्कूल छोड़ना पड़ा।
जैकी श्रॉफ एक दिन यूंही एक बस स्टैंड पर खड़े थे और तभी वहां एक शख्स उनसे टकराया। लंबी-चौड़ी कदकाठी और सुंदर चेहरे-मोहरे वाले जैकी को देख वह शख्स ठिठक गया और साथ में काम करने का ऑफर दिया।
स्टारडम पाने के बाद भी जैकी श्रॉफ अपने संघर्ष के दिनों को नहीं भूले। एक गरीब होना क्या होता है, उसकी व्यथा क्या होती है, यह जैकी श्रॉफ बखूबी समझते हैं।
तभी तो आज भी मुंबई के नानावती अस्पताल में गरीबों की मदद और उनके इलाज के लिए जैकी श्रॉफ के नाम से अकाउंट चलता है।
मुंबई के जिस तीन बत्ती वाल्केश्वर इलाके में एक कमरे में जैकी और उनका परिवार रहता था, वहां से पाली हिल तक के हर भिखारी और फुटपाथ पर रहने वाले हर बच्चे के पास जैकी श्रॉफ का पर्सनल मोबाइल नंबर है।
जैकी आज भी उस चॉल में जाते हैं जहां कभी उन्होंने गरीबी और मुफलिसी में दिन गुजारे थे। चंद साल पहले जब जैकी फिर से तीन बत्ती इलाके में स्थित अपने उसी घर में पहुंचे तो भावुक हो गए।
सुपरस्टार बनने के बाद भी कई सालों तक जैकी श्रॉफ तीन बत्ती चॉल वाले अपने एक कमरे के घर में रहे।
सुपरस्टार बनने के बाद भी जैकी श्रॉफ में कभी घमंड नहीं आया। न ही सपना देखा कि मुंबई के पॉश इलाके में घर लिया जाए। ऐसा नहीं है कि उनके पास पैसा नहीं था।
जैकी श्रॉफ के मन में कुछ कर गुजरने की ललक थी और उसी ललक के कारण जैकी ने शैफ से लेकर फ्लाइट अंटेंडेंट तक का काम भी किया।
जरूरी योग्यता न होने के कारण जैकी को कई बार निशारा का सामना भी करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
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