ममता बनर्जी का सक्रिय राजनीतिक सफर 1970 में शुरू हुआ, जब वे कांग्रेस पार्टी की कार्यकर्ता बनीं। 1976 से 1980 तक वे महिला कांग्रेस की महासचिव रहीं।
1984 में ममता ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के वरिष्ठ नेता सोमनाथ चटर्जी को जादवपुर लोकसभा सीट से हराया। उन्हें देश की सबसे युवा सांसद बनने का गौरव प्राप्त हुआ।
साल 1991 में जब नरसिम्हा राव की सरकार बनी तो ममता बनर्जी को मानव संसाधन विकास, युवा मामले और खेल के साथ ही महिला और बाल विकास राज्य मंत्री बनाया गया।
अप्रैल 1996-97 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस पर बंगाल में सीपीएम की कठपुतली होने का आरोप लगाया और 1997 में कांग्रेस से अलग हो गईं।
साल 1999 में ममता बनर्जी की पार्टी बीजेपी के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार का हिस्सा बन गई. उन्हें रेल मंत्री बना दिया गया।
कोलकाता में जन्म लेने वाली ममता बनर्जी केंद्र में दो बार रेल मंत्री रह चुकी हैं। ममता बनर्जी को देश की पहली महिला रेल मंत्री बनने का गौरव प्राप्त है।
20 मई 2004 को आम चुनावों के बाद पार्टी की ओर से केवल ममता बनर्जी ही चुनाव जीत सकी थीं। इस बार ममता बनर्जी को केंद्र सरकार में कोयला और खान मंत्री बनाया गया।
साल 2009 के आम चुनावों से पहले ममता बनर्जी ने फिर एक बार यूपीए से नाता जोड़ लिया। इस गठबंधन को 26 सीटों पर जीत मिलीं। इस बार ममता बनर्जी को फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिला। इस बार उन्हें फिर रेल मंत्री बनाया गया।
साल 2011 में टीएमसी ने 'मां, माटी, मानुष' के नारे के साथ विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत के साथ जीत हासिल की। ममता बनर्जी राज्य की मुख्यमंत्री बनीं और 34 सालों तक राज्य की सत्ता पर काबिज रहे वामपंथी मोर्चे का सफाया किया।
ममता बनर्जी एक राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवयित्री और पेंटर भी हैं। उनकी लिखी 'राजनीति' शीर्षक से कविता काफी चर्चित रही है। इसके अलावा ममता बनर्जी को रंगों से भी खूब लगाव है। उन्हें कई बार पेंटिंग करते भी देखा गया है।
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