नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का फ़िल्मी सफ़र एक छोटे से गांव से शुरू होकर मुंबई की चमक दमक तक पहुंचा है।
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का जन्म उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर ज़िले से 40 किलोमीटर दूर भुवाना नामक गांव में हुआ। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी के पिता किसान हैं।
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी पढ़ाई मुज़फ्फरनगर में पूरी करने के बाद थिएटर करना शुरू किया। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी बताते हैं कि छोटे मोटे नाटक करते हुए उन्हें लगा कि वह भी अभिनय कर सकते हैं।
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में प्रवेश मिला और वहीं उन्होंने अपने अभिनय को तराशा। इसके बाद नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने दिल्ली में ही करीब चार साल तक छोटे मोटे नाटक करके गुज़ारा किया।
मुंबई आने से पहले दिल्ली में नवाज़ुद्दीन को अपने खर्चे के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। बहुत ढूंढने के बाद उन्हें एक जगह सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी मिली।
साल 2000 में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने मुंबई का रूख किया औऱ उन्हें उम्मीद थी कि वहां जल्द ही अच्छा काम मिल जाएगा। लेकिन ऐसा न हुआ। टीवी सीरियलों में भी उनको काम नहीं मिलता था।
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी बताते हैं कि मुंबई में संघर्ष का एक ऐसा समय भी था कि वह एक समय खाना खाते तो दूसरे समय के लाले पड़ जाते थे।
अनुराग कश्यप ने नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का एक नाटक दिल्ली में देखा और उन्हें अपनी फ़िल्म 'ब्लैक फ़्राईडे' में काम दिया। जिससे नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। इसके बाद नवाज़ुद्दीन को 'फ़िराक', 'न्यूयॉर्क' और 'देव डी' जैसी फ़िल्मों में काम मिला।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने फिल्मी करियर में 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'मंटो', 'ठाकरे' जैसी फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से लोगों को हैरान किया।
शानदार अभिनय के लिए नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को राष्ट्रीय पुरस्कार, आईआईएफए अवार्डस, स्क्रीन अवार्ड्स, जी सिने अवार्डस, रेनॉल्ट स्टार गिल्ट अवार्डस और एशिया पैशिफिक स्क्रीन अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है।
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