आज देश के सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) ने आधार कार्ड/नंबर पर बड़ा फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की बेंच ने बुधवार को आधार नंबर के वैध और अवैध को लेकर फैसला सुनाया है। अब यह साफ हो चुका है कि आधार नंबर कहां पर जरूरी है और कहां पर नहीं। इसको लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। इस फैसले से आम आदमी को राहत मिलेगी।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और उनके सहयोगी जजों ने सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार आधार डेटा की सुरक्षा को लेकर ध्यान दे। हालांकि लोगों की जानकारी सुरक्षित है फिर भी गोपनीयता को ध्यान में रख कर सिक्यूरिटी मजबूत की जानी चाहिए। इसके अलावा कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि आधार हर जगह पर जरूरी नहीं है। बस कुछ खास जगहों पर ही देनी होगी।
चार माह की लंबी बहस
आधार नंबर की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 27 याचिकाएं दायर की गई थीं जिस पर कोर्ट तकरीबन चार माह से सुनवाई कर रहा था। लंबी बहस के बाद कोर्ट ने 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद आधार नंबर को लेकर फैसला सुनाया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आधार हर किसीको यूनिक नंबर देता है इसलिए लोगों को डरना चाहिए।
#SupremeCourt: Illegal immigrants should not get #Aadhaar pic.twitter.com/EDxRT45LWf
— Doordarshan News (@DDNewsLive) September 26, 2018
आधार कहां पर मान्य और अमान्य
अब यह जानना हमारे लिए बेहद जरूरी है कि आखिर कोर्ट ने आज के फैसले में क्या कहा है। आम आदमी इस बात को लेकर परेशान था कि उससे हर जगह पर आधार नंबर मांगी जा रही है।
यहां पर आधार देना जरूरी
- पैन कार्ड
- टैक्स रिटर्न फाइल
- सरकारी की लाभकारी योजनाओं के लाभा के लिए
यहां जरूरी नहीं है आधार
- मोबाइल सिम कार्ड खरीदने
- बैंक खाता खुलवाने (सरकारी व प्राइवेट)
- प्राइवेट कंपनी
- शिक्षण संस्थानों में एडमिशन
- नेट, जेईई या कोई भी परीक्षा
इन जजों ने सुनाया फैसला
आधार कार्ड को लेकर विवाद तो लंबे समय से चला लेकिन इस पर सुनवाई भी लंबे समय तक हुई है। बुधवार को पांच जजों के बेंच ने इस पर फैसला सुनाया। इस बेंच में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खनविलकर, जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण का नाम प्रमुख है।
विदाई से पहले CJI के दो बड़े फैसले
आपको बताते चलें कि मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा का कार्यकाल अक्टूबर में समाप्त हो रहा है। 3 अक्टूबर को विदाई ले लेंगे। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने समलैंगिकता (धारा 377) और आधार कार्ड पर फैसला सुना दिया है। संभावना है कि इनके कार्यकाल के दौरान राम जन्मभूमि विवाद आदि पर भी फैसला सुना सकते हैं।
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