देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी अब नहीं रहे| दिल्ली के एम्स में गुरुवार को 93 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। यूरिन इन्फेक्शन की शिकायत के बाद 11 जून को उनको एम्स में भर्ती कराया गया था| हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था|
अटल विहारी वाजपेयी जी ना सिर्फ एक राजनीतिज्ञ थे बल्कि उन्होंने एक कवी के तौर पर भी अपनी धाक जमाई| उनके भाषण तो एक से बढ़कर एक होते थे लेकिन उनकी कलम भी लोगों को प्रेरणा देने का काम करती थी| वो एक नेक इंसान और एक महान कवि रहे हैं और “हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा”, “काल के कपाल पर लिखता ही जाता हूँ”, जैसीे तमाम वीररस से भरी कवितायेँ लिखी जो लोगों के दिलों को छु गयी| देखिये उनकी इन्ही कविताओं में से कुछ प्रमुख कवितायेँ-
गीत नया गाता हूँ!
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर ,
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,
झरे सब पीले पात,
कोयल की कूक रात,
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं।
गीत नया गाता हूँ।
टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?
अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।
हार नहीं मानूँगा,
रार नहीं ठानूँगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ।
गीत नया गाता हूँ।
2. ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।
मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।’
मौत से ठन गई।
अटल जी भले ही आज हमारे बीच ना हो लेकिन उनकी कवितायेँ और उनकी यादें हमारे बीच हमेशा रहेंगी|
यहां देखिए अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा हुआ वीडियो