आज ही के दिन भारत ने अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) जैसे एक महान नेता को खोया था, जिन्होंने देश के लिए ऐसे कई ऐसे बड़े फैसले लिए थे , जोकि आगे चलकर एक बड़ी मिसाल के तौर पर सामने आए। अटल बिहारी वाजपेयी जी एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपनी राजनीती सुझबुझ से अपने राजनीती करियर में सभी का सम्मान हासिल किया बल्कि उन्हीं की वजह से आज भारत पर राज कर रही पार्टी बीजेपी मजबूत स्थापित हो सकी। 16 अगस्त 2018 को आज ही के दिन अटल बिहारी वाजपेयी जी का लंबी बीमारी के बाद एम्स में निधन हो गया था। आज उनकी पहली पुण्यतिथि (Death Anniversary) हैं। ऐसे में हम आपको बताएंगे उनके ऐसे 5 दमदार भाषणों (Speech) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके लिए वो हमेशा याद किए जाएंगे।
सयुंक्त राष्ट्र संघ में जब 1977 में दिया था दमदार भाषण
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपने भाषण में कहा था कि मैं भारत की जनता की ओर से राष्ट्रीय संघ के लिए शुभकामनाओं का संदेश लाया हूं। जनता सरकार को शासन की बागडोर संभाले हुए सिर्फ 6 महीने ही हुए हैं, इसके बावजूद इतने अल्प समय में हमारी उपलब्धियों उल्लेखनीय हैं। भारत के मूलभूत मानव अधिकार पुन प्रतिष्ठित हो गए हैं। जिस भय और आतंक के वातावरण में हमारे लोगों को घेर लिया था वह अब दूर हो गया है। ऐसे में संवेधानिक कदम उठाए जा रहे हैं। जिनसे यह चीज तय हो जाए कि लोकतंत्र और बुनियादी आजादी का अब फिर कभी हनन नहीं होगा। अध्यक्ष महोदय वसुधैव कुटुंबकम की परिकल्पना बहुत पुरानी है। भारत हमेशा से इस धारण में विश्वास करता आया है कि सारा संसार एक ही परिवार है। काफी सारी प्रयत्नों और परेशानियों के बाद संयुक्त राष्ट्र के रूप में इस स्वपन के साकार होने की संभावना है। यहां मैं राष्ट्रों की सत्ता और महत्ता के बारे में इस वक्त नहीं सोच रहा हूं। आम आदमी की प्रतिष्ठा और प्रगति मेरे लिए कहीं ज्यादा मयाने रखती है। अंतत: हमारी सफलताएं और असफलताएं एक ही मापदणड से मापी जानी चाहिए कि क्या हम पूरे मानव समाज हर नर, नारी और बच्चों के लिए न्याय और गरिमा की आश्वस्ति देने में समर्थ है। आगे उन्होंने अपनी बात रखते हुए यूएन में कहा कि रंगभेद की सभी रूपों का जड़ से उन्मूलन होना चाहिए। भारत सभी देशों से मित्रता चाहता है कि और किसी देश पर प्रभुत्तव स्थापित नहीं करना चाहता। इसके साथ ही उन्होंने कई बातें अपने भाषण में भी कही।
पोखरण के बाद पत्रकारों को किया था संबोधित
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने पोखरण के भाषण के बाद जब पत्रकारों को संबोधित किया था तो सभी का ध्यान उन्होंने खीच लिया था। उन्होंने अपने बात में कहा मुझे एक छोटी सी घोषण करनी है। 3 बजकर 45 मिनट पर आज के दिन भारत ने पोखरण रेंज में तीन परमाणु परीक्षण किए। जोकि एक विखंडन उपकरण, कम क्षमता के उपकरण और एक थर्मोन्यूक्लियर उपकरण के जरिए किए गए। इनका प्रभाव भी अनुमान के मुताबिक ही हुआ। इसके साथ ही नापने पर भी ये साफ हो गया कि वातावरण में किसी भी तरह का कोई रेडियोएक्टिविटीी नहीं फैली है। ये सब मई 1974 के प्रयोग की तरह ही जमीन के अंदर किए गये विस्फोट थे। मैं उन सभी वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई देता हूं, जिन्होंने इसे सफल बनाया।
बाबरी मस्जिद मामले को लेकर जब कही ंं थी ये बात
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जब बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले जो भाषण दिया था, उसको लेकर भी वह काफी चर्चा में रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने भाषण में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो आदेश दिया गया है वह कार्य सेवा के लिए रोकता नही हैं। ऐसे में इस आदेश के मुताबिक हम कार्यसेवकों को अपना कार्यसेवा करने का अधिकार प्राप्त हो गया है। ऐसे में रोकने का तो सवाल ही नहीं होता है। कार्यसेवा करके हमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करना चाहिए।
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान संसद में अटल जी का विश्वास से भरा भाषण
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान अटल जी ने जो भाषण दिया तो उसे आज भी याद किया जाता है। उन्होंने अपने भाषण में कहा इस सदन में एक-एक व्यक्ति की अपनी पार्टी है और वह हमारे साथ संघर्ष करके हमें हटाने की कोशिश कर रहे हैं। वह अकेले चल रहे हैं। ऐसी पार्टियों का देश की सेवा करने का तरीका बिल्कुल अलग होता है। वह अपने क्षेत्र से अलग चलते है और दिल्ली आकर किसी दूसरे से हाथ मिला लेते हैं। आगे अपनी बात रखते हुए अटल जी ने कहा आज जो हमारी पार्टी है उसके पीछे हमने काफी मेहनत की है। यह पार्टी कोई चुनाव के समय कुकुरमत्ते की तरह खड़ी होने वाली पार्टी है। वो बात अलग है कि हमारे पास नंबर नहीं है, लेकिन सच तो यह है कि हम सबसे बड़ी पार्टी है और हम सदन चलने में मदद करेंगे।
भ्रष्टाचार पर जब दिया अपना बेबाक भाषण
50 साल में हमें प्रगिति की है इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है। चुनाव के दौरान वोट मांगते हुए सरकार की नीतियों पर कठोर से कठोर वार करते हुए पुरानी सरकार की नीतियों में अलोचना करने लायक बहुत सामग्री थी। हर जगह मैंने ये कहा कि मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो 50 साल की उपलब्धियों पर पानी फेर दें। ऐसा करना देश के किसान के साथ अन्नाय करना होगा, मजूदर के साथ जदती करनी होगी, हम आदमी के साथ भी वो अच्छा व्यवहार नहीं होगा। जो सवाल आज मन में उठता है और उठना चाहिए आजादी को 50 साल होने आए है और हम जयंती मनाने जा रहे हैं और आज देश की स्थिति क्या है? आज हम पिछड़ क्यों गए ? जो देश हमारे साथ आजाद हुए थे वो आगे बढ़ गए। जो देश हमें से बाद आजाद हुए थे वो हमें पीछे छोड़ गए। दुनिया के गरीब कम देशों में हमारी गणना है। 20 फीसदी से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचें हैं। आगे उन्होंने अपने भाषण में कहा कि लड़की की जन्म लेना इस देश मे अभी तक अभिशाप है। क्या सरकारी कदम उठाकर समाज में जग्रिती पैदा करके क्या हम देश का नक्श नहीं बदल सकते। जो साधन है उनका सहीं इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।
राजीव गांधी को याद कर दिया था बेहतरीन उदाहरण
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने आगे कहा,’ जनता के ऊपर जो टैक्स लगाकर धन इक्ट्ठा किया जा रहा है उसका लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंचता। क्या जाता है वो? किसी की जेब भरी जाती है? विदेशी बैंक में धन जाने का सिलसिला अभी तक क्यों चल रहा है। उसको रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए। हम विदेशी पूंजी के लिए प्रयत्नशिल है कि विदेशी पूंजी आए। यदि वो आती है इंफास्ट्रक्चर के लिए, आयात-निर्यात को बढ़ाने के लिए तो कोई आपत्ति नहीं करेगा। लेकिन क्या में भीतरी साधनों का अधिकतम उपयोग हो रहा है? क्या ये सच नहीं है कि भ्रष्टाचार एक राष्ट्र रोग बन चुका है। मुझे याद है कि स्वर्गीय राजीव गांधी ने एक भाषण में कहा था कि दिल्ली से जब मैं 1 रूपए भेजता हूं तो वह पहुंचते-पहुंचते 19 पैसे ही रह जाता है। तो मैंने उनसे कहा कि ये चमतकर कैसे होता है तो वह हंसकर कहने लगे कि जब रूपया चलता है तो घिसता है। हाथ में लगता है, जेब में जाता है और छोटा होता जाता है। रूपया को पहचाना मुश्किल है। एक तो सरकारी खर्चा बढ़ गया है जोकि बढ़ता जा रहा है। इसे कम करने के लिए आम सहमति की जरूरत है। सर्वदली सहयोग चाहिए। हां हमारे पूराने प्रधानमंत्री नरसिमा रॉव जी अपने को स्थिर करने के बाद अपने को थोड़ा प्रयत्न करते तो सफल होते, लेकिन वह ऐसे कई कामों में उलझे रहें कि ये समस्या ध्यान नहीं खींच सकती।,’
यहां देखिए अटल बिहारी वाजपेयी जी की जिंदगी से जुड़ा हुआ वीडियो…