साल 1885 से चले आ रहे रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Mandir Babri Masjid Case) का फैसला आ गया है। देश की आवोहवा इस फैसले का न जाने कब से इंतजार कर रही है। 40 दिन तक चलने वाली दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस के बाद आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस ऐतिहासिक फैसले का सबने बड़ी खूबसूरती से स्वागत किया है। साथ ही कोर्ट ने अपनी बात में ये भी कहा है कि इसमें किसी की जीत या हार नहीं है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) की अगुवाई में पांच जजों की संवैधानिक पीठ चार सूट में से दो सूट के फैसले को खारिज कर दिया गया है। सूट नंबर 1 गोपाल सिंह विशारद, सूट नंबर 3 निर्मोही अखाड़ा, सूट नंबर 4 सुन्नी वक्फ बोर्ड, सूट नंबर 5 रामलला विराजमान पर फैसला दिया गया। 23 अगस्त 1990 को सूट नंबर 2 को वापस लेने के कारण इसे खारिज कर दिया गया था।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया है। अयोध्या में रामजन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन दी गई है। साथ ही अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ट्रस्ट बनाने का आदेश भी दिया है। अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने वाली पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट में 16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले पर सुनवाई पूरी हुई थी। 6 अगस्त से लगातार 40 दिनों तक इसपर सुनवाई हुई थी।
वहीं आपको बता दें फैसला आने से पहले शिया वक्फ बोर्ड के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा था कि मीर बाकी शिया था और किसी भी शिया की बनाई गई मस्जिद को किसी सुन्नी को नहीं दिया जा सकता है। इसलिए इस पर हमारा अधिकार बनता है और इसे हमें दे दिया जाए। शिया वक्फ बोर्ड चाहता है कि वहां इमाम-ए-हिंद यानी भगवान राम का भव्य मंदिर बने, जिससे हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की जा सके।
एक नजर में फैसले की बड़ी बातें…
* अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता हुआ साफ
* विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को देने का आदेश
* सुन्नी वक्फ को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का आदेश
* पक्षकार गोपाल विशारद को पूजा अधिकार
* निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड का दावा किया खारिज
* रामलाल विराजमान को जमीन का मालिकाना हक
* तीन महीने में केंद्र सरकार करेगी ट्रस्ट का गठन
* राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार करेगी ट्रस्ट
* मुस्लिम पक्ष जमीन पर अपना दावा साबित करने में हुआ नाकाम
* आस्था और विश्वास के आधार पर मालिकाना हक का फैसला नहीं हो सकता
* हिन्दुओं की आस्था पर कोई विवाद नहीं
* जमीन पर मालिकाना हक कानूनी नजरिये से तय होगा
* खुदाई में जो तथ्य मिले हैं वो इस्लामिक ढांचा का नहीं है
* बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी
निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की विशेष पीठ चार सूट में से सूट नंबर 3 निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि अखाड़े का दावा लिमिटेशन से बाहर है। निर्मोही अखाड़ा सेवादार भी नहीं है। रामलला को कोर्ट ने मुख्य पक्षकार माना है। यानी दो में से एक हिंदू पक्ष का दावा खारिज कर दिया है।
मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की जानकारी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने ASI रिपोर्ट के आधार पर अपने फैसले में कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं मिली है।
आस्था और विश्वास के आधार पर किसी का मालिकाना नहीं
कोर्ट ने फैसले में कहा कि आस्था के आधार पर जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता। साथ ही कोर्ट ने साफ कहा कि फैसला कानून के आधार पर ही दिया जाएगा।कोर्ट ने कहा है कि हिन्दू अयोध्या को राम भगवान का जन्मस्थान मानते हैं। मुख्य गुंबद को ही जन्म की सही जगह मानते हैं। अयोध्या में राम का जन्म होने के दावे का किसी ने विरोध नहीं किया। विवादित जगह पर हिन्दू पूजा करते रहे थे। गवाहों के क्रॉस एक्जामिनेशन से हिन्दू दावा झूठा साबित नहीं हुआ। चबूतरा,भंडार, सीता रसोई से भी दावे की पुष्टि होती है। हिन्दू परिक्रमा भी किया करते थे लेकिन टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होता।
जमीन पर दावा साबित करने में मुस्लिम पक्ष नाकाम
सुप्रीमकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मुस्लिम पक्ष जमीन पर अपना दावा साबित करने में नाकाम रहा है। अंग्रेजों के समय में भी वहां नमाज पढ़ने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ विवादित ढांचे के नीचे एक पुरानी रचना से हिंदू दावा माना नहीं जा सकता। मुसलमान दावा करते हैं कि मस्ज़िद बनने से साल 1949 तक लगातार नमाज पढ़ते थे, लेकिन 1856-57 तक ऐसा होने का कोई सबूत नहीं है।
सुन्नी वक़्फ बोर्ड को वैकल्पिक जमीन
कोर्ट ने पढ़ते हुए कहा है कि मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाए। यानी कोर्ट ने मुस्लिमों को दूसरी जगह जमीन देने का आदेश दिया है।
राम जन्मभूमि न्यास को मिली विवादित जमीन
सुप्रीम कोर्ट ने देश के सबसे पुराने केस में ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार मन्दिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बनाए। अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए। मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले। या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं और दें। हम अनुच्छेद 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए मुस्लिम पक्ष को ज़मीन दे रहे हैं। सरकार ट्रस्ट में निर्मोही को भी उपयुक्त प्रतिनिधित्व देने पर विचार करें।
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