साल 1885 से चले आ रहे रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram Mandir Babri Masjid Case) की अंतिम सुनवाई पूरे 40 दिन चली। बीते बुधवार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस के बाद सुनवाई खत्म हुई। अब देश की नजर शीर्ष अदालत के ऐतिहासिक फैसले पर है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ अगले महीने इसपर फैसला सुनाएगी।
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में जिन पांच न्यायाधीशों को फैसला सुनाना है उनके नाम हैं- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एसए नजीर।
1- रंजन गोगोई, मुख्य न्यायाधीश
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं। 3 अक्टूबर, 2018 को जस्टिस रंजन गोगोई ने ‘चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया’ की कुर्सी संभाली थी। वह गुवाहाटी, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं। खास बात यह है कि अगले महीने की 17 तारीख को जस्टिस गोगोई रिटायर हो रहे हैं। बहुत हद तक संभव है कि अयोध्या मामले का फैसला 17 नवंबर या उससे पहले आ सकता है।
2- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का पूरा नाम धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ है। वह 13 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे। जज बनने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके थे। वह बॉम्बे हाईकोर्ट के जज भी रह चुके हैं। उनके पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रह चुके हैं।
3- जस्टिस अशोक भूषण
जस्टिस अशोक भूषण का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई अहम पदों पर काम किया है। साल 2001 में वह जज नियुक्त किए गए। वह केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। जस्टिस अशोक भूषण ने साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश का पदभार संभाला था।
4- जस्टिस एसए बोबड़े
जस्टिस एसए बोबड़े का पूरा नाम शरद अरविंद बोबड़े है। साल 2000 में वह बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त किए गए थे। वह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। साल 2013 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर न्यायाधीश पद संभाला। जस्टिस एसए बोबड़े 2021 में रिटायर होंगे।
5- जस्टिस एसए नजीर
जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने साल 1983 में वकालत की शुरूआत की थी। कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रैक्टिस के बाद वह वहां जज रहे थे। साल 2017 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कार्यभार संभाला।