बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन मां सरस्वती की आराधना करने से आपके घर में बुद्धि और विद्या का वास होता है। इस महीने में न तो ज्यादा गर्मी होती है नहीं ही सर्दी। इसी वजह से बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बसंत पचंमी क्यों मनाई जाती है। तो चलिए हम आपको बतातें है इसके पीछे का कारण।
दरअसल हिंदु पौराणिक कथाओं में से एक कथा में ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की थी। तब उन्होंने पेड़-पौधे, मनुष्य और जीव जन्तु सभी का निर्माण किया, लेकिन उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि उनकी रचना में किसी तरह की कमी रह गई है। इसके बाद भगवान ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से पानी छिड़का और इससे चार हाथों वाली एक सुंदर और अद्भूत स्त्री प्रकट हुई। जो स्त्री जल से प्रकट हुई थी, उसके एक हाथ में वाणी, दूसरे हाथ में किताब, तीसरे में माला और चौथे हाथ वर मुद्रा में था।
मां सरस्वती के प्रकट होने के बाद ब्रह्मा जी ने उनसे वाणी बजाने के लिए कहा। जैसे ही उन्होंने अपने वीणा का सुर छेड़ा तो ब्रह्मा जी द्वारा बनाई गई हर चीज में स्वर बस गया। तभी ब्रह्मा जी ने मां का वाणी के देवी सरस्वती नाम दिया, जिस दिन ये सब हुआ वो दिन बसंत पचंमी का था। इसी के चलते हर साल बसंत पंचमी के दिन को मां सरस्वती के जन्मदिन के रुप में मनाया जाता है और उनकी पूजा करके आशीर्वाद लिया जाता है। तो इस तरह से आज के दिन मां को पूजा जाता है। वैसे इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना भी काफी शुभ होता है। इसके साथ ही आपको बता दें कि मां सरस्वती की पूजा करते वक्त उन्हें पीले रंग का फुल जरुर चढ़ाएं।
यहां देखिए मां सरस्वती की तस्वीरें
मां सरस्वती की अद्भूत मूर्ति
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