बंगाल इमाम एसोसिएशन ने जनता से किया अपील, मुस्लिम धर्म मानने वाले लोग शब-ए-बारात के लिए घर से ना निकलें

बंगाल इमाम एसोसिएशन ने एक एडवाइजरी जारी कर मुस्लिम धर्म मानने वाले सभी लोगों से कहा है कि वे ‘लैलतुल बारात’ (शब-ए-बारात) के लिए घरों से बाहर न निकलें। बता दे, शब-ए-बारात के 15 दिन बाद ही रमजान का बरकतों और रहमतों का महीना शुरू होता है।

बंगाल इमाम एसोसिएशन

Coronavirus Effects: कोरोना वायरस के प्रकोप से पूरा देश तिलमिला गया हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने देश में 21 दिनों का लॉक डाउन लागू किया गया है। ऐसे में अब रमजान भी नजदीक है। ऐसे में बंगाल इमाम एसोसिएशन ने एक एडवाइजरी जारी कर मुस्लिम धर्म मानने वाले सभी लोगों से कहा है कि वे ‘लैलतुल बारात’ (शब-ए-बारात) के लिए घरों से बाहर न निकलें। बता दे, शब-ए-बारात के 15 दिन बाद ही रमजान का बरकतों और रहमतों का महीना शुरू होता है।

लेकिन जिस तरह से कोरोना तेज़ी से फैल रहा है ऐसे में सरकार ने लॉक डाउन के दौरान लोगों को घर से बाहर ना निकले की सलाह दी है। खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के निर्देश दे रखे हैं। लॉक डाउन में एक जगह ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते। घर से केवल तभी बाहर निकल सकते है जब सच में कोई इमरजेंसी हो। बंगाल में करीब 35,000 मस्जिदें हैं। बता दे, लॉकडाउन से पहले इन मस्जिदों में बड़ी संख्या में लोग नमाज अदा करने जाते थे। लेकिन लॉकडाउन लागू होने के बाद मस्जिदों से जुड़े सिर्फ इमाम या मस्जिद से जुड़े हुए लोग ही वहां नमाज पढते हैं।

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बंगाल इमाम एसोसिएशन की अगुआई करने वाले सैद मो. याहिया ने कहा, “सभी मस्जिदों में सिर्फ 3 से 5 लोग अजान के बाद नमाज अदा कर रहे हैं. एक इमाम अगुआई करते हैं और 3 से 5 लोग साथ रहते हैं.” सैद मो. याहिया ने आगे कहा, “हालांकि लैलतुल बारात से बहुत सी भावनाएं जुड़ी हैं, लेकिन जिस तरह की मौजूदा स्थिति है, उसमें सभी से गुजारिश है कि नियमों का पालन करे और लॉकडाउन में घरों पर ही रहें. किसी जुलूस या आयोजन के लिए कहीं जमा न हों.” ऐसे में, सैद मो. याहिया ने कहा, “अगला दिन शुक्रवार का होगा। हर दिन की तरह अजान होगी। इमाम 4 या 5 लोगों के साथ जमात जारी रखेंगे। लोगों से अपील है कि मस्जिदों में एकत्र न हों। वो जैसे घरों पर अब नमाज अदा कर रहे हैं, वैसे ही करते रहें.” उन्होंने बार बार ये याद दिलाने की कोशिश की कि लड़ाई अज्ञात शत्रु (कोरोनावायरस) से है और इसका साम्प्रदायिक राजनीति से कोई संबंध नहीं है।

सैद मो. याहिया ने कहा,” आपको फिर याद दिलाता हूं कि ये व्यवस्था सिर्फ मौजूदा हालात के लिए है न कि इस्लामिक कानूनों को बदलने के लिए। न हमारे पास ऐसा करने का हक़ है और न ही ताकत। मस्जिद के नियम वैसे ही रहेंगे.” उन्होंने कहा, “इसी व्यवस्था को 15 अप्रैल या जो भी सरकार तय करेगी, तब तक बनाए रखें। रमजान आने वाला है। घरों पर सुरक्षित रहें। अगले रमजान की तैयारी करें। अल्लाह आप सभी को रमजान पर अच्छी सेहत अदा करे।  बता दे, भारत में अब तक कोरोना वायरस के प्रकोप से 114 लोगों की मौत हो चुकी है।

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