छठ पूजा: ऐसे मिलेगा पूरा पुण्य, जानें नहाय-खाय से लेकर सूर्य अर्घ्य तक के विधि-विधान

Chhath Puja 2018: बिहार का महापर्व छठ आज से शुरू हो गया है। नहाय खाय के साथ शुरू होने वाला छठ सूर्य अर्घ्य के साथ चौथे दिन समाप्त होता है।

Chhath Puja 2018: बिहार का महापर्व छठ आज से शुरू हो गया है। नहाय खाय के साथ शुरू होने वाला छठ सूर्य अर्घ्य के साथ चौथे दिन समाप्त होता है। इन चार दिनों तक विशेष नियमों का पालन करना होता है। छठ पूजा की तैयारी तो वैसे कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। जिसमें कि छठ घाट की साफ-सफाई, रंगाई-पुताई से लेकर सजावट तक काम पहले ही संपन्न हो जाता है। इसके अलावा गेहूं को साफ करने और माटी का चुल्हा भी पहले से ही बना लिया जाता है। हालांकि ये तैयारियां तो हम हरेक साल करते हैं। लेकिन छठ पूजा के मुहूर्त को लेकर बदलाव होते रहते हैं। इसके साथ ही जो लोग पहली बार छठ कर रहे हैं उनके लिए तो विधि-विधान जानना बहुत जरूरी है।

सबसे पहले आपको चार दिन तक होने वाले छठ पूजा के दिन और समय की जानकारी दे देते हैं। 11 नवंबर (चतुर्थी) रविवार को नहाय खाय के अगले दिन से उपवास शुरू हो जाता है। छठ पूजा का दूसरा दिन लोहंडा और खारना दिवस 12 नवंबर 2018 – (पंचमी) सोमवार को है। इसके साथ ही छठ पूजा का तीसरा दिन 13 नवंबर 2018 – (षष्ठी) मंगलवार को है। इस दिन पूजा पाठ इसी समय पर करना सही होगा। इसलिए तीसरे दिन के सूर्योदय – सुबह 06:45 व सूर्यास्त – शाम 18:01 का समय जान लें। अब अंतिम दिन छठ पूजा का चौथा दिन होता है। सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसको पराना दिवस भी कहते हैं। 14 नवंबर 2018 – (सप्तमी) बुधवार को सूर्योदय – सुबह 06:45 और सूर्यास्त – शाम 18:00 बजे होगा। छठ पूजा विशेष कर सूर्य की उपासना है। इसलिए इस पर्व में सूर्यास्त और सूर्योदय का बहुत महत्व है।

छठ पूजा के खास नियम
छठ पूजा करने वाले दीपावली के पूर्व से ही मांसाहारी भोजन छोड़ देते हैं। घर में भी नहीं बनाना चाहिए।
छठ पूजा नियम के अनुसार चार दिनों तक घर में प्याज और लहसुन वर्जित होना चाहिए।
व्रतधारियों को शुद्धता का पूरा ख्याल रखना चाहिए।
छठ पर्व में चार दिन तक शुद्ध कपड़े पहननें चाहिए।
इस पूजा में कपड़ों में सिलाई नहीं होनी चाहिए। इसलिए महिलाएं साड़ी व पुरुष धोती धारण करें।
चार दिन तक व्रत करने वाले को जमीन पर सोना चाहिए। कम्बल या फिर चटाई का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
छठ पूजा के लिए बांस के सूप, नारियल, गन्ना, माटी के दीए, ठेकुआ, दो-तीन प्रकार के फल, मीठा नींबू (गागल) का होना अनिवार्य है।
प्रसाद में गेहूँ और गुड़ के आटों से बना ठेकुआ और फलों में केले प्रमुख होते हैं।
इस बीच बीमार और लाचार व्यक्ति की मदद करें। उन्हें भोजन कराएं।

देखें वीडियो…

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.