बिहार के 3 बार मुख्यमंत्री रहे JDU नेता जगन्नाथ मिश्रा का निधन, जानिए उन्हें क्यों कहा जाता था मौलाना?

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा (Jagannath Mishra) का सोमवार को दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। 82 साल के पूर्व सीएम पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे।

जगन्नाथ मिश्रा पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। (फोटो- ट्विटर)

बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे जनता दल (यूनाइटेड) के नेता जगन्नाथ मिश्रा (Jagannath Mishra) ने सोमवार को दिल्ली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह पिछले काफी से बीमार चल रहे थे। 82 साल के पूर्व सीएम को बीते जुलाई दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जगन्नाथ मिश्रा के निधन की खबर फैलते ही अलग-अलग दलों के तमाम नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। बिहार सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।

बताया जा रहा है कि सोमवार दोपहर बाद जगन्नाथ मिश्रा का पार्थिव शरीर बिहार में उनके गृह जिले सुपौल ले जाया जाएगा। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि सूबे के पूर्व सीएम मिश्रा का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

बताते चलें कि जगन्नाथ मिश्रा का जन्म 24 जून, 1937 को बिहार के सुपौल जिले स्थित बलुआ बाजार में हुआ था। मिश्रा ने बतौर प्रोफेसर अपने करियर की शुरूआत की थी। बिहार यूनिवर्सिटी में वह अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे। राजनीतिक परिवेश में जन्मे मिश्रा की बचपन से ही राजनीति में दिलचस्पी थी। प्रोफेसर रहते हुए वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। साल 1975 में वह पहली बार बिहार के सीएम बने।

80 और 90 के दशक में वह बिहार की राजनीति में धुरंधर नेता माने जाते थे। कांग्रेस से मोहभंग होने के बाद उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का दामन थामा था। मिश्रा ने ही सूबे के नेताओं को बताया था कि कास्ट और कम्युनिटी को वोट बैंक में कैसे तब्दील किया जाता है। 1977 में मिश्रा ने मुस्लिम वोट बैंक को एक दमदार चाल से अपनी तरफ कर लिया था।

जगन्नाथ मिश्रा ने उर्दू को बिहार की दूसरी भाषा घोषित कर दिया था। मुस्लिमों में लोकप्रिय होने की वजह से उन्हें ‘मौलाना जगन्नाथ’ भी कहा जाता था। साल 2014 में मिश्रा जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल हुए थे। चारा घोटाले में भी उनका नाम आया था। इस मामले में 2013 में रांची की स्पेशल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद मिश्रा को चार साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। उनपर दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।

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राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।