विश्व महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में एमसी मैरीकॉम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए छठी बार स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। मैरी कॉम छह गोल्ड जीतने वाली दुनिया की पहली महिला बॉक्सर बना चुकी हैं। इतना ही नहीं इससे पहले मैरीकॉम के नाम पांच गोल्ड मैडल भी मौजूद हैं। उनकी इस खुशी में भारत के प्रधानमंत्री पीएम नरेंद्र ने उन्हें बधाई दी हैं। मैरी कॉम ने फाइनल में यूक्रेन की हना ओखोता को 5-0 से हराया है। उन्होंने पूरे मुकाबले में शानदार प्रदर्शन किया जिसके चलते वो ये मुकाम हासिल कर पाईं।
अपनी शानदार जीत के बाद मैरीकॉम ने खूशी जाहिर करते हुए कहा, मेरे लिए यह सब काफी मुश्किल रहा। ये सब सिर्फ आपके प्यार के चलते हो पाया है। मैं वेट कैटेगरी से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हो पा रही थी। 51 किग्रा कैटेगरी ओलिंपिक में मेरे लिए काफी मुश्किल हो गया था लेकिन मैं खुश हूं। इसके साथ ही आगे अपनी बात रखते हुए मैरी कॉम ने कहा कि मैं इस जीत के लिए सभी लोगों का शुक्रिया करना चाहूंगी। जो यहां मेरे समर्थन के लिए आए। मैं आप सभी का दिल से धन्यवाद करना चाहती हूं। मेरे लिए ये पल बेहद खास है। वहीं, इस चैम्पियनशिप में यूक्रेनी की खिलाड़ी से मुकाबल करने पर मैरी कॉम ने कहा कि ये यूक्रेनी खिलाड़ी के खिलाफ ये मैच बिल्कुल भी आसान नहीं था, ऐसा इसलिए क्योंकि वह मुझसे काफी लंबी थी।
Thank you so much all the encouragement and supports @narendramodi ji https://t.co/NQsn9gzYht
— Mary Kom (@MangteC) November 24, 2018
विश्वकप में मैरीकॉम का कुछ ऐसा रहा प्रदर्शन
2002 में जब पेंसिलवेनिया में मुकाबल हुआ तो उन्होंने रजत पदक जीत। 2002 में तुर्की के अंदर स्वर्ण। रुस में 2005 में हुए मुकाबले में स्वर्ण। भारत की राजधानी दिल्ली में हुए मुकाबले में उन्होंने 2006 में गोल्ड जीता था।चीन में 2008 के अंदर स्वर्ण। 2010 में बारबाडोस में स्वर्ण पदक जीता था और अब छठीं बार 2018 में नई दिल्ली में हुए मुकाबले में स्वर्ण पदक जीत कर भारत का नाम रोशन किया है।
मैरी कॉम का दिखेगा 2020 में भी शानदार प्रदर्शन
विश्व महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में कदम रखने से पहले मैरीकॉम ने यह बात साफ कर दी थी कि वो अब बिल्कुल फिट है ऐसे में वो 2020 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक में भी अपना शानदार प्रदर्शन करने के लिए उतरेंगी। यह बात दें कि टूर्नामेंट होने से पहले सभी खिलाड़ियों का एक फिटनेस चेकअप होता था जिसमें उनसे 100 मीटर की रेस लगवाई थी। जिसमें मैरीकॉम को दूसरा स्थान हासिल हुआ था।
कुछ इस तरह बनी कोयले से हीरा
1 मार्च 1983 को मैरीकॉम का जन्म मणिपुर में एक गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने बचपन में खेतों में काम करके अपने परिवार का साथ दिया था। मैरीकॉम का खेलों में भाग लेना उनके पिता बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे लेकिन ओनलर कॉम से 2005 में शादी हो जाने के बाद मैरी ने खेल की दुनिया में आने का पुरी तरह से फैसला लिया। इस दौरान उन्होंने खुब मेहनत भी की और बॉक्सिंग की प्रैक्टिस भी की। 2007 में मैरीकॉम के जुड़वा बच्चों हुए थे, लेकिन तीसरी बार भी मां बनने के बाद भी मैरीकॉम के प्रदर्शन में किसी भी तरह की कमी नहीं आईं। साल 2008 के अंदर उन्हें मैग्नीफिशेंट मैरीकॉम के नाम से नवाजा गया था। इसके बाद 2006 में मैरीकॉम को पद्मश्री, 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार दिया गया।
A jersey doesn’t care about where you’re from, your age or ur gender. All it cares about is your passion. #JerseyKnowsNoGender 💪
It's time to back #TeamIndia @ICC #WT20 wear your blues, strike the pose.Come on, @priyankachopra @Abhinav_Bindra @imranirampal @Uber_India @imVkohli pic.twitter.com/RKZD8mRW3s— Mary Kom (@MangteC) November 16, 2018
फिल्म में समेटी मैरीकॉम की जिंदगी…
निर्देशक उमंग कुमार ने मैरी कॉम पर एक फिल्म बनाई थी। इसमें प्रियंका चोपड़ा ने शानदार प्रर्दशन किया था। इस फिल्म को लोगों ने खूब पसंद किया। फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे दुनिया की तमाम बाधाएं आपके रास्ते पर आएंगी, लेकिन यदि जिद पक्की हो तो कोई आपका रास्ता नहीं रोक सकता। मैरी कॉम की जिंदगी पर बनी इस फिल्म को देखकर ऐसा ही प्रतीत होता है। मैरी भारत के उस हिस्से में रहने वाली हैं जहां आजादी के सालों बाद भी वहां लोगों को बताना पड़ता है कि वो भारतीय हैं। मैरी कॉम ने एक ऐसा खेल चुना जिसमें महिला बॉक्सिंग में महिला खिलाड़ी ढूंढे नहीं मिलती हैं। मैरी कॉम को भी अपने स्तर पर इससे लड़ना पड़ा।