सनातन धर्म में वैशाख मास की पूर्णिमा का बेहद खास महत्व होता है। वैशाख पूर्णिमा को ‘बुद्ध पूर्णिमा’ (Budh Purnima 2019) के रूप में भी मनाया जाता है। बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का 9वां अवतार माना जाता है और हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायी, दोनों ही ‘बुद्ध पूर्णिमा’ को मनाते हैं। इस बार 502 साल बाद एक दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसे शास्त्रों में ‘समसप्तक योग’ कहा गया है।
ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल ‘बुद्ध पूर्णिमा’ पर ‘समसप्तक योग’ बनने से इसका महत्व और भी खास हो गया है। इस योग में देवगुरु बृहस्पति और नवग्रहों के राजा कहलाने वाले सूर्यदेव आमने-सामने होंगे। इस स्थिति के चलते ‘समसप्तक राजयोग’ बना रहेगा। इसका मतलब है कि इस दिन सभी शुभ कार्यों में उन्नति के अनायास योग बने रहेंगे। नए काम की शुरूआत के लिए यह दिन बेहद शुभ है। भूमि, भवन और वाहन आदि की खरीद बेहद शुभ फल देगी।
ये है पूजा का शुभ समय
‘समसप्तक योग’ होने की वजह से पूरे दिन पूजा का योग बना रहेगा, लेकिन 18 मई की सुबह 4:10 बजे से प्रारंभ हो रहा यह योग सुबह 11:45 बजे तक प्रबल अवस्था में होगा। शाम को 7:20 बजे से 9:10 बजे तक भी पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।
भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, ‘बुद्ध पूर्णिमा’ पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन प्रातःकाल उठने के बाद शौच आदि से निवृत्त होकर मंदिर में धूप और दीपदान कीजिए। भगवान विष्णु का ध्यान कीजिए और पूजा के बाद उन्हें पंचमेवा व फलों का भोग लगाइए। गरीब व जरूरतमंदों को दान दीजिए। इस दिन व्रत भी विशेष फलदायी होता है। भगवान विष्णु के साथ इस दिन भोलेनाथ की भी पूजा का विशेष महत्व है।
‘बुद्ध पूर्णिमा’ पर जरूर करें गंगा स्नान
भगवान शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए दूध, दही, शहद और जल शिवलिंग पर चढ़ाइए। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। अगर आप गंगाघाट पर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही स्नान के बाद शरीर पर कुछ बूंदें गंगाजल की छिड़क लें और घर के चारों कोनों में गंगाजल से शुद्धि करें।
वैसाख मास की पूर्णिमा को हुआ था भगवान बुद्ध का जन्म
बौद्ध धर्म के अनुयायी ‘बुद्ध पूर्णिमा’ के दिन को ‘बुद्ध जयंती’ के तौर पर मनाते हैं। वैसाख मास की पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इस दिन को ‘सिद्ध विनायक पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बोधिवृक्ष की पूजा की जाती है। पेड़ की पत्तियों को सजाया जाता है और वृक्ष के इर्द-गिर्द दिये जलाए जाते हैं। ‘बुद्ध पूर्णिमा’ के दिन झूठ-अपशब्द बोलने से बचें। मांस-मदिरा को हाथ न लगाएं। बुजुर्गों का मान-सम्मान करें। घर में किसी भी तरह कलह की स्थिति उत्पन्न न होने दें।
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