Chandra Grahan 2020: जून में लगेगा साल का दूसरा चंद्र ग्रहण, जानिए हिन्दू धर्म में क्या है इसकी मान्यताएं

Chandra Grahan 2020: इस समय दुनिया भर में लोग कोरोना वायरस के प्रकोप से झूझ रही है। इस कोरोना का खतरा देश में बहुत ही तेजी से पैर पसारता जा रहा है। कोरोना संकट से देश कब तक मुक्त होगा, यह जानने के लिए सभी लोग बेचैन है।

Chandra Grahan 2020:

Chandra Grahan 2020: इस समय दुनिया भर में लोग कोरोना वायरस के प्रकोप से झूझ रही है। इस कोरोना का खतरा देश में बहुत ही तेजी से पैर पसारता जा रहा है। कोरोना संकट से देश कब तक मुक्त होगा, यह जानने के लिए सभी लोग बेचैन है। इस बीच अब साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भी जल्द ही लग जाएगा। बता दे जनवरी में पहले ग्रहण लगा था जिसके बाद अब अगले महीने तीन बड़ा ग्रहण लगने जा रहा है। बता दे, सूर्य ग्रहण हो या चंद्रमा ग्रहण दोनों के हिंदू धर्म में बहुत मान्यताएं है। ऐसी मान्यता है कि ग्रहण का आम इंसान के जीवन पर काफी असर पड़ता है।

जून महीने में लग रहा है दो ग्रहण

साल 2020 का पहला ग्रहण जनवरी में लगा जिसके बाद अब जून और जुलाई माह में तीन बड़े ग्रहण लगने जा रहे हैं जिसमें 2 चंद्र और 1 सूर्य ग्रहण होगा। पहला चंद्र ग्रहण 5 जून को लगेगा जो रात 11 बजकर 15 मिनट से 6 जून 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। भारत, यूरोप, अफ्रीका, एशिया समेत कई जगहों पर यह ग्रहण दिखाई देगा। दूसरा ग्रहण 21 जून 2020 को लगेगा जो सूर्य ग्रहण 2020 होगा। यह ग्रहण सुबह 12 बजकर 15 मिनट से दोपहर 15 बजकर 03 मिनट तक रहेगा। दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर ग्रहण सबसे ज्यादा प्रभावी रहेगा।

5 जुलाई को भी लगेगा ग्रहण 

इस ग्रहण को भारत समेत एशिया और दक्षिण पूर्व यूरोप में देखा जाएगा। वहीं तीसरा ग्रहण 5 जुलाई को लगेगा जो चंद्र ग्रहण होगा। 5 जुलाई सुबह 8 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर 11 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। ये उपच्छाया ग्रहण होगा, जिसके कारण इसका प्रभाव भारत में बहुत कम रहेगा। इस दिन लगने वाला ग्रहण अमेरिका, दक्षिण-पश्चिम यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से में दिखाई देगा।
21 जून को लगने वाले ग्रहण 2020 सूतक काल 12 घंटे पहले ही लग जाएगा।

पौराणिक कथा के अनुसार इस वजह से लगता है ग्रहण 

हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है की ये ग्रहण के पीछे राहु केतु वजह है। इसीलिए आज हम आपके लिए चंद्रन ग्रहण और सूर्य ग्रहण से जुड़े कुछ डिटेल्स लाये है। बता दे हिन्दू धर्म में चंद्रग्रहण लगने के पीछे राहु केतु होते हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और दानवों के बीच अमृत पाने को लेकर युद्ध चल रहा था।

अमृत को देवताओं को पिलाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी नाम की सुंदर कन्या का रूप धारण किया था और सभी में अमृत बराबर बराबर बांटने के लिए राजी कर लिया। जब मोहिनी का रूप लिए भगवान विष्णु अमृत को लेकर देवताओं के पास पहुंचे और उन्हें पिलाने लगे तो राहु नामक असुर भी देवताओं के बीच जाकर बैठ गया। जिससे अमृत उसे भी मिल जाए।