छठ पूजा बिहार का महापर्व है। ये पूर्वांचल में भी परंपरागत तरीके मनाया जाता है। इसके अलावा जहां भी बिहार और पूर्वांचल के लोग बसे हैं, वहां पर भी मना रहे हैं। देश-विदेश से लेकर कई सुदूर इलाकों में छठ पूजा मनाया जा रहा है। छठ पूजा के धूम मचाते गाने और भीड़-भाड़ जाती ट्रेनें ये बता चुकी हैं कि छठ पूजा आ गया है। हजारों साल से चला आ रहा छठ पूजन महाभारत काल से लेकर रामराज्य तक हुआ। और आज तक जारी है।
छठ पूजा पर डिजिटल दौर में गानों ने जमकर धमाल मचा रखा है। इसको मनाने की तैयारी हम कहीं से भी देख पा रहे हैं। छठ पूजा पर युवाओं के अंदर एक कलाकार जन्म ले लेता है। यदि आप बिहार से हैं तो जानते होंगे। हर साल की तरह इस साल भी गांव-गावं में नाटक और नाच का मंजर देखने को मिल रहा है। इसके जरिए सामाजिक संदेश दिया जा रहा है। इसके अलावा हर घर में छठ मां के गीत सुनाई पड़ रहे हैं। यही तो एक मौका है जब पूरा बिहार एक साथ जश्न मनाता है।
आंचल पर लौंडा नाच
लौंडा नाच देखने को मिल रहा है। लौंडा नाच कराने के पीछे मन्नत की कहानी जुड़ी है। बहुत सारे मन्नत मांगते हैं और पूरा होने पर मां या दादी अपने आंचल पर लौंडा से नाच करवाती हैं। ऐसा नजारा तो हर गांव में या छठ घाट पर देखने को मिल ही रहा है। तो है ना छठ का पर्व मजेदार। लौंडा नाच लाउडस्पीकर पर नहीं बल्कि ढोल-झाल पर होता है। जो कि इसके जश्न को दोगुना कर देता है। छठ पर खासकर लोग बच्चे के लिए मन्नत मांगते हैं। कोढ़ी (कुष्ठ या चर्म रोग से ग्रसित) या बांझ लोगों की आस्था खासकर इस पर्व के साथ जुड़ी है।
प्रसाद और पकवान
ये तो रही जश्न की बात, चलिए अब इसके प्रसाद और पकवान के बारे में बता देते हैं। इस पर्व के आते ही हमें सबसे पहले ठेकुआ और गन्ना याद आ जाता है। वैसे ये दोनों ही छठ के प्रमुख प्रसाद हैं। इसके अलावा गागल (मीठा नींबू), नारियल, केला, कच्चा हल्दी और अदरक भी शामिल किया जाता है। इस मौके पर विशेष तौर पर लौकी और चना दाल की सब्जी, तथा एक दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है। ये सब मिट्टी के बर्तन में बनाए जाते हैं। इसका टेस्ट वाकई लाजवाब होता है।
वीडियो में देखें छठ का जश्न
सूर्य की उपासना
बिहार का महापर्व छठ, एक प्रकार से सूर्य की उपासना से जुड़ा है। नहाय खाय के साथ छठ सूर्य अर्घ्य के साथ चौथे दिन समाप्त होता है। 11 नवंबर चतुर्थी से ही नहाय खाय के अगले दिन से उपवास के साथ छठ शुरू हो गया है। छठ पूजा का दूसरा दिन लोहंडा और खारना दिवस 12 नवंबर 2018 को पंचमी के दिन मनाया गया है। इसके साथ ही छठ पूजा का आज तीसरा दिन है। इसलिए तीसरे दिन के सूर्योदय – सुबह 06:45 व सूर्यास्त – शाम 18:01 का समय है। इसी बीच हमें पूजा पाठ करना होगा। अंतिम दिन छठ पूजा का चौथा दिन होता है। सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 14 नवंबर 2018 को सूर्योदय होने पर छठ व्रतधारी पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देंगे। इसके लिए कई घंटों का इंतजार किया जाता है। इस साल सुबह 06:45 को सूर्योदय का समय बताया जा रहा है। छठ पूजा विशेष कर सूर्य की उपासना है। इसलिए इस पर्व में सूर्यास्त और सूर्योदय का बहुत महत्व है।
छठ पूजा के खास नियम
छठ पूजा करने वाले दीपावली के पूर्व से ही मांसाहारी भोजन छोड़ देते हैं। घर में भी नहीं बनाना चाहिए।
छठ पूजा नियम के अनुसार चार दिनों तक घर में प्याज और लहसुन वर्जित होना चाहिए।
व्रतधारियों को शुद्धता का पूरा ख्याल रखना चाहिए।
छठ पर्व में चार दिन तक शुद्ध कपड़े पहननें चाहिए।
इस पूजा में कपड़ों में सिलाई नहीं होनी चाहिए। इसलिए महिलाएं साड़ी व पुरुष धोती धारण करें।
चार दिन तक व्रत करने वाले को जमीन पर सोना चाहिए। कम्बल या फिर चटाई का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
छठ पूजा के लिए बांस के सूप, नारियल, गन्ना, माटी के दीए, ठेकुआ, दो-तीन प्रकार के फल, मीठा नींबू (गागल) का होना अनिवार्य है।
प्रसाद में गेहूँ और गुड़ के आटों से बना ठेकुआ और फलों में केले प्रमुख होते हैं।
इस बीच बीमार और लाचार व्यक्ति की मदद करें। उन्हें भोजन कराएं।
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