11 नवंबर से ही चार दिन के छठ महापर्व की शुरुआत हो गई हैं। इस त्योहार का सबसे ज्यादा महत्व बिहार, यूपी, झारखंड जैसे जगहों में ज्यादा होता है। छठ पूजा करते वक्त साफ – सफाई और पूरी शुद्धता का ध्यान रखा जाता है। इसके साथ ही कुछ ऐसी चीजें भी होती है जिनके बिना छठ की पूजा अधूरी ही मानी जाती है। हम आपको बताने जा रहें हैं उन चीजों के बारें में…
– छठ की पूजा करते वक्त बांस की टोकरी को अधिक महत्व दिया जाता है। बांस को आध्यात्म के आधार पर काफी शुद्ध माना जाता है।
– छठ पूजा में ठेकुए का प्रसाद नहीं बना तो क्या बना। गुड़ और आटोको मिलाकर छठ पूजा वाले दिन ठेकुए का प्रसाद बनाया जाता है। इसके बिना छठ अधूरी मानी जाती है।
-गन्ने का भी महत्व छठ पूजा के दौरान काफी माना जाता है। दरअसल अर्घ्य देने के दौरान पूजा की चीजों में गन्ने का होना काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह छठ्ठी मैय्या का सबसे अधिक प्रियो माना जाता है।
– केला का भी इस्तेमाल छठ पूजा में होता है। इसे एक तरह से प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
– नारियल का भोग लगाने से छठी मैय्या काफी खुश होती है।
– यदि छठ मैय्या को डाभ नींबू भी चढ़ाया जाता है जो की एक तरह का विशेष प्रकार का नींबू होता है जो बाहर से पीला और अंदर से लाल होता है।
– वैसे देखा जाए तो चावल के लड्डू छठी मैय्या को काफी पसंद है। इन लड्डुओं को खास चावल से बनाया जाता है जो धान की कई परतों से तैयार किए जाते हैं।
छठ पूजा के खास नियम
छठ पूजा करने वाले दीपावली के पूर्व से ही मांसाहारी भोजन छोड़ देते हैं। घर में भी नहीं बनाना चाहिए।
छठ पूजा नियम के अनुसार चार दिनों तक घर में प्याज और लहसुन वर्जित होना चाहिए।
व्रतधारियों को शुद्धता का पूरा ख्याल रखना चाहिए।
छठ पर्व में चार दिन तक शुद्ध कपड़े पहननें चाहिए।
इस पूजा में कपड़ों में सिलाई नहीं होनी चाहिए। इसलिए महिलाएं साड़ी व पुरुष धोती धारण करें।
चार दिन तक व्रत करने वाले को जमीन पर सोना चाहिए। कम्बल या फिर चटाई का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
छठ पूजा के लिए बांस के सूप, नारियल, गन्ना, माटी के दीए, ठेकुआ, दो-तीन प्रकार के फल, मीठा नींबू (गागल) का होना अनिवार्य है।
प्रसाद में गेहूँ और गुड़ के आटों से बना ठेकुआ और फलों में केले प्रमुख होते हैं।
इस बीच बीमार और लाचार व्यक्ति की मदद करें। उन्हें भोजन कराएं।