नवरात्रि का पावन पर्व 6 अप्रैल से शुरू होने वाला है। 5 अप्रैल को चैत्र मास का कृष्ण पक्ष है। इस दिन अमावस्या होती है। पांच अप्रैल को विक्रम संवत् 2075 समाप्त हो रहा है। इस दिन स्नान कर दान देना काफी पवित्र माना जाता है। इसके अगले दिन चैत्र मास की नवरात्रि शुरू हो जाती है। इसी के साथ हिंदू कलैंडर का नया वर्ष यानि विक्रम संवत 2076 शुरू होगा। इसके साथ ही देश भर में नवरात्रि का पहले दिन का व्रत रखा जाएगा। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी।
इस दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की शुरुआत होगी। नवरात्रि के पहले दिन लोग व्रत रखेंगे और कलश की स्थापना की करेंगे। महाराष्ट्र में नवरात्रि के साथ ही गुड़ी पड़वा मनाया जाएगा। गुड़ी पड़वा का जश्न नए साल के पहले दिन के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है। गुड़ी पड़वा के दिन मराठी हिंदू अपने घरों में रंगों की और फूलों की रंगोली मनाते हैं। फसलों के साथ-साथ देवी मां की पूजा करते हैं।
भगवान ब्रह्मा ने की सृष्टि की रचना
कहा जाता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही भगवान ब्रह्मा ने इस विश्व की रचना की थी, इसलिए इस दिन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ब्रह्मपुराण में इसका उल्लेख का विवरण मिलता है। जिस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की उस दिन को प्रतिपदा माना गया। इसमें चंद्रमा, सूर्य और ऋतुओं की भूमिका को अहम माना गया। इसके आधार पर समय और मौसम तय हुए। भारत में कई जगह लोग आज भी चांद और सूर्य की गति और स्थिरता को देख कर समय का निर्धारित करते हैं।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैेलपुत्री की पूजा होती है। इस दिन लोग अपने घर में और मोहल्ले में कलश की स्थापना करते हैं। अगर आप भी कलश की स्थापना करना चाहते हैं तो इसका सही वक्त जान लीजिए। कलश स्थापना करने का शुभ समय 6 अप्रैल को सुबह 6ः09 बजे से लेकर 10ः 21 मिनट तक है।