कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर पूरी दुनिया में फैलता जा रहा है। इस महामारी से बचने के लिए भारत सरकार (Indian Government) के सभी अन्य देश वैक्सीन ढूंढने में लगे हुए है। वहीँ कोरोना ने अमेरिका की कमर तोड़ दी हैं। बात दें, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) दवा के लिए गुहार लगाई थी। लेकिन हाल ही में उन्होंने संकेत देते हुआ कहा था कि अगर भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर से प्रतिबंध नहीं हटाया तो वह जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं।
इस पर विदेश मंत्रालय ने ट्रम्प के बयान पर बेवजह विवाद खड़ा कर रहे हैं ऐसा कहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा हैं कि ‘यह किसी भी सरकार का दायित्व होता है कि पहले वह सुनिश्चित करे कि उसके अपने लोगों के पास दवा या इलाज के हर जरूरी संसाधन उपलब्ध हों। इसी के मद्देनजर शुरू में कुछ एहतियाती कदम उठाए गए थे और कुछ दवाओं के निर्यात को प्रतिबंधित किया गया था।’
उन्होंने आगे कहा, ‘बाद में स्थिति की समीक्षा की गयी और इस बात की तसल्ली की गयी कि देश के अंदर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त दवा है, तब जाकर इन अधिकतर प्रतिबंध को हटा लिया गया। सोमवार को 14 दवाओं पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया गया। जहां तक पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की बात है वह लाइसेंस कैटेगरी में रहेगी और उसकी मांग पर लगातार नजर रखी जाएगी। लेकिन अगर मांग के अनुरूप आपूर्ति रही तो फिर कुछ हद तक निर्यात की अनुमति दी जा सकती है।’
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि ‘कोरोनावायरस महामारी के समय भारत ने हमेशा कहा है कि ऐसे कठिन हालात में पूरे विश्व को एक होकर इससे लड़ना होगा। इसमें मानवीय पहलू के बारे में भी सोचना होगा। भारत ने कहा कि वह इन दवाओं को उन जरूरतमंद देशों को भी भेजेगा जो इस बीमारी से सबसे अधिक ग्रसित हैं। विदश मंत्रालय ने कहा कि ऐसे कठिन परिस्थिति में किसी तरह के अनर्गल विवाद को खड़ा नहीं किया जाना चाहिए।’
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