देशभर में कृष्णा जन्माष्टमी की धूम मची हुई है। कई हिस्सों में आज, तो कहीं कल जन्माष्टमी (Janmashtami 2019 ) मनाई जाएगी। जन्माष्टमी के साथ ही लोगों पर मटकी फोड़ने का क्रेज शुरू हो जाता है। इस दही हांडी उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस बार जन्माष्टमी 23 और 24 अगस्त को मनाई जा रही है। जिसकी वजह से दाही हांडी (Dahi Handi 2019) का जश्न 25 अगस्त को मनाया जाएगा। दांही हांडी पहले तो सिर्फ महाराष्ट्र और गुजरात में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से इसका विस्तार हुआ है और यह देश के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है। यहां हम आपको बता रहे हैं, इस त्योहार को मनाने का वक्त, महत्व और इतिहास-
जैसा कि हम सभी जानते है, श्रीकृष्ण (Srikrishna) को मक्खन और घी बहुत ही पसंद है। वह अक्सर लोगों के घर से मक्खन चुरा कर खाते थे। गोकुल में जब में महिलाएं कान्हा के मक्खन चोरी होने से परेशान होने लगीं, तो उन्होंने अपनी मक्खन से भरे मटकों को ऊपर बांधकर रखना शुरू कर दिया। लेकिन कान्हा कहां मानने वाले थे, वह अपने साथियों के साथ जाते और जुगाड़ लगा कर मक्खन चुरा कर खा लेते थे। उनका ये जुगाड़ या तो उनके दाऊ यानी बलराम का या फिर सुदामा का कंधा होता था। वह उनके कंधे पर चढ़कर मटके तक पहुंच जाते थे। अगर मटका ज्यादा ऊंचा होता, तो वह कई दोस्तों का पिरामिड बना कर चढ़ कर खा लेते थे। यहीं से दही हांडी की परंपरा शुरू हुई।
ऐसे मनाया जाता है दही हांडी
दही हांडी मनाने के पीछे एक और मान्यता यह है कि भगवान कृष्ण (Lord krishna)का जन्म भादव महीने की अष्टमी को अर्द्धरात्रि में हुआ था। श्रीकृष्ण की जन्म के जश्न के तौर पर अगले दिन गोकुल में दही हांडी का उत्सव मनाया गया। इसके बाद से लोग दही हांडी का जश्न मनाने लगे। पहले इस त्योहार को सिर्फ महाराष्ट्र में सेलिब्रेट किया जाता था, लेकिन अब इसे पूरे भारत में बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। जगह-जगह चौराहों पर दही और मक्खन से भरी मटकियां लटकाई जाती हैं और गोविंदा लोग पिरामिड बनाकर एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर इसे तोड़ते हैं। अब इन मटकियों में कुछ धनराशि भी रखी जाती है।
यहां देखिए श्रीकृष्णा के पॉपुलर भजन…