भारत में इन दिनों दुर्गा पूजा (Durga Puja 2019) की अलग ही रौनक देखने को मिलती है। दुर्गा पूजा पूरे उत्तर भारत में धूमधाम के साथ तो मनाई जाती है, लेकिन बंगाल, त्रिपुरा, मणिपुर, ओडिशा, असम, बिहार में इसका अलग ही नजर देखने को मिलता है। इस बार दुर्गा पूजा 4 अक्टूबर (षष्ठी) से 8 अक्टूबर (विजयादशमी) तक चलेगी। आइए जानते है पूजा की विधि, भोग और बाकी अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में।
दुर्गा पूजा की कथा
दुर्गा पूजा (Durga Utsav) की अपनी कथा और कहानी है। ऐसा कहा जता है कि दुर्गा पूजा का ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दुर्गा पूजा का त्योहार देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच हुए एक युद्ध का प्रतीक मना गया है। महिषासुर नाम के एक राक्षस ने सालों तक तपस्या करके और भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान मांगा था। उनकी भक्ति को देखकर भगवान ने उन्हें वरदान दे दिए। साथ ही ये भी वरदान दिया कि उनकी मृत्यु एक स्त्री के हाथों होगी।
इसी के आधार पर महिषासुर ने अपनी असुर सेना के साथ देवों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया, जिसमें देवों की हार हो गई और सभी देवगण मदद के लिए त्रिदेव यानी भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु के पास पहुंचें। बाद में तीनों देवताओं ने अपनी शक्ति से मां देवी दुर्गा को जन्म दिया जिसके बाद दुर्गा ने राक्षस महिषासुर से युद्ध कर उसका वध किया। इस तरह अच्छाई की जीत बुराई पर हुई।
इसे रखें मां दुर्गा का व्रत
दूर्गा पूजा वाले दिन व्रत रखते वक्त सबसे पहले जल्दी उठकर दुर्गा अंजली होने तक व्रत रखें।
यह व्रत फल और मिठाई खाकर खोला जाता है।
दोपहर के वक्त मां दुर्गा को पारंपरिक भोग लगाया जाता है। यह पूजा का सबसे अहम दिन माना जाता है। अष्टमी के दिन भोग में कुछ खास तैयारी की जाती है।
पारंपरिक भोग में खिचड़ी, पापड़, मिक्स वेजिटेबल, टमाटर की चटनी, बैंगन भाजा के साथ रसगुल्ला भोग लगाया जाता है।