रमजान का पाक महीना खत्म होने को है, लोग ईद उल फितर की तैयारी करने में जुटे हुए हैं। ईद का मतलब त्योहार होता है और उल फितर का मतलब व्रत को तोड़ना होता है। यानी ईद उल फितर का मतलब व्रत तोड़ने का त्योहार होता है। ईद के इस खास मौके पर हम आपको बता रहे हैं, ईद से जुड़ी 10 खास बातें, जो आपको जरूर जाननी चाहिए।
01- रमजान या रमदान एक अरेबिक शब्द है। रमजान इस्लामिक कलेंडर का नौंवा महीना होता है।
02- रमजान में सूरज उगने से पहले खाना खाने को सैरी जबकि सूरज ढलने के बाद खाना खाने को इफ्तार कहते हैं।
03- उत्तर प्रदेश के सीतापुर में रहने वाले मौलाना शाकिर अली के मुताबिक अल्लाह ने इसी समय के दौरान मुसलमानों को कुरान शरीफ से नवाजा था। यह महीने को रमजान के रूप में आज से लगभग 1500 साल पहले से मनाया जा रहा है।
04- इस्लाम के पांच स्तंभ होते हैं। एक शहादा, दो सलाह, तीन रोजा (व्रत), चार जकात और पांचवां हज। मुसलमानों में रोजा रखना अनिवार्य होता है। इसका मुख्य उद्देश्य होता गरीबों और पिछड़ों के भूख और समझना होता है।
05- रमजान में दिन के वक्त कुछ नहीं खाया जाता,यहां तक की पानी भी नहीं पिया जाता। शराब और सेक्स से भी इस दौरान दूरी बनाई जाती है। किसी की बुराई करना और हिंसा करना पूरे महीने नहीं करना चाहिए। इस दौरान इत्र का भी प्रयोग नहीं किया जाता।
06- इफ्तार के वक्त जरूरी होता है कि इसे किसी एक शख्स के साथ शेयर किया जाए। ये कोई मायने नहीं रखता कि आपके आसपास कोई हिंदू है या क्रिश्चियन या फिर किसी और धर्म का। अगर वे भूखे हैं, तो उन्हें नकार नहीं सकते। अगर ऐसा होता है, तो उसे हराम कहा जाएगा।
07- ईद उल फितर का जश्न शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है, जोकि इस्लामिक कलैंडर का 10वां महीना होता है। शव्वाल बढ़ने का महीना होता है,जोकि रमजान के महीने के बाद पढ़ता है। शव्वाल का मतलब ध्यान रखना होता है।
08- इस्लाम में ईद उल फितर और ईद अल अधा दो महत्वपूर्ण त्योहार होते हैं। इस्लाम के पांचवें स्तंभ मक्का के हज यात्रा के अंत को चिह्नित करने के लिए ‘बलिदान का त्योहार’ या ईद अल-अधा मनाया जाता है। ईद अल-अधा इस्लामिक कैलेंडर के अंतिम महीने का दसवां दिन भी है।
09- ईद के मौके पर मुसलमान खुली जगहों पर इकट्ठा होते हैं और स्पेशल दुआ पढ़ते हैं और यह प्रार्थना ईद के लिए होती है। इसे सलात उल ईद कहते हैं। सलात का अरबी में मतलब होता है ईश्वर से की गई बात। यह सलात रमजान खत्म होने के बाद सबसे पहले दिन की जाती है।
10- रमजान के बाद और ईद की दुआ से पहले भोजन दान करना सरप्लस माना जाता है। इसे जकात अल फितर के नाम से भी जाना जाता है। जकात अल फितर का मतलब होता है कि ईद के त्योहार से पहले या दौरान में दान करना।