मशहूर फिल्म डायरेक्टर गुरू दत्त की भतीजी कल्पना का निधन, जानें इनके जीवन के यादगार लम्हें

मशहूर फिल्ममेकर कल्पना लाजमी ने केवल तीन फिल्मों में ही इंडस्ट्री में नाम कमा लिया, रवीना टंडन को दिया था मेन रोल

फेमस फिल्ममेकर कल्पना लाजमी का रविवार की सुबह मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में निधन हो गया। कल्पना लाजमी लंबे समय से किडनी के कैंसर से बीमार थी। लेकिन बीमारी के कारण 64 वर्ष की आयु में ही इनका निधन हो गया। इसको लेकर हिंदी सिनेमा जगत के तमाम हस्तियों ने शोक प्रकट किया है। इसके साथ ही एक्ट्रेस रवीना टंडन, हुमा कुरैशी ने भी ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी और शोक जताया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, मशहूर फिल्ममेकर कल्पना लाजमी ने सुबह 4.30 बजे अंतिम सांस ली। लाजमी किडनी कैंसर और लिवर फेलियर से पीड़ित थीं। उनके निधन के बारे में उनके भाई देव लाजमी ने मीडिया को जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कल्पना लाजमी का अंतिम संस्कार संभवत: आज किया जाएगा। इसके लिए भी तैयारी की जा रही हैं और रिश्तेदारों व दोस्तों को जानकारियां दी जा रही हैं।

कल्पना की तीन बेस्ट फिल्में
कल्पना लाजमी को आज देश की तमाम बड़ी हस्तियों ने याद किया है। उनके जाने पर दुख जताया है। कल्पना लाजमी की तीन फिल्में ‘रुदाली’, ‘दमन’ और ‘दरमियां’ जैसी फिल्में लोकप्रिय हैं, लोग इन फिल्मों की चर्चा आज भी करते हैं। उस दौर में भी इन फिल्मों को कई अवार्ड मिले थे। कल्पना लाजमी एक निर्देशक, निर्माता के अलावा पटकथा लेखक भी थीं। वह यथार्थवादी फिल्मों के लिए सदा याद की जाएगीं। उनकी फिल्में अक्सर महिलाओं पर केंद्रित रहती थीं।

लाजमी की अंतिम फिल्म
कल्पना लाजमी महिला विषयों को लेकर ही काम करती थी और इन्हीं विषयों पर बेस्ट फिल्म बनाने के लिए मानी जाती थी। इनका विश्ववास था कि ज्यादा फिल्में बनाने से बेहतर है कि कम फिल्में लेकिन बेस्ट फिल्में बनाई जाएं। इनकी अंतिम फिल्म 2006 में आई थी। लाजमी ने बतौर निर्देशक आखिरी फिल्म ‘चिंगारी’ बनाई थी। यह फिल्म भूपेन हजारिका के उपन्यास ‘द प्रॉस्टीट्यूट एंड द पोस्टमैन’ पर आधारित थी। इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती और सुष्म‍िता सेन नजर आए थे।

फैमली बैकग्राउंड
कल्पना लाजमी एक कलाप्रेमी परिवार से ताल्लुकात रखती हैं। कल्पना लाजमी पेंटर ललिता लाजमी और मशहूर डायरेक्टर गुरू दत्त की भतीजी है। लोकप्रिय और प्रसिद्ध संगीतकार भूपेन हजारिका से इनकी शादी हुई थी। शायद यही कारण रहा कि कल्पना की फिल्में बहुत ही संवेदनशील और सोचनीय होती थी। इनकी फिल्मों को देखने पर लगता है कि कल्पना कितनी गहराई में जाकर फिल्मों को बनाती थी। इनकी फिल्मों पर इनके परिवार का छाप दिखता था।

फिल्मों को अवार्ड
वैसे तो काम करने वालों के लिए अवॉर्ड बहुत मायने नहीं रखता है क्योंकि व्यक्ति को उसके काम से ही याद रखा जाता है। फिर भी कम फिल्में करने के बाद भी चर्चा में रहने वाली कल्पना की फिल्मों ने अवॉर्ड भी बटोरा है। इनकी फिल्म ‘रुदाली’ के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था। इसके अलावा साल 2001 में कल्पना लाजमी की फिल्म ‘दमन’ के लिए मुख्य किरदार करने वाली रवीना टंडन को बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था।

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.