Gandhi Jayanti 2019: बापू की 150वीं जयंती, जानिए क्या है गांधी जयंती का इतिहास और भारत में इसका महत्व

आज भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 150वीं जयंती है। गांधी जयंती (Gandhi Jayanti 2019) के अवसर पर केंद्र सरकार ने देश से सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) को खत्म करने का बीड़ा उठाया है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। (फोटो- ट्विटर)

आज पूरा देश राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi 150th Birth Anniversary) की 150वीं जयंती मना रहा है। संयुक्त राष्ट्र 2 अक्टूबर को अहिंसा के अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर घोषित कर चुका है। पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में कहा था कि क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग की दिशा में भारत 2 अक्टूबर से अहम कदम उठाने जा रहा है। गांधी जयंती (Gandhi Jayanti 2019) से भारत सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) के खिलाफ मुहिम छेड़ने जा रही है। 2022 तक इसके इस्तेमाल को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1969 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। बापू आजादी की लड़ाई के सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे। उन्होंने अपना सारा जीवन अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए देश को स्वतंत्रता दिलाने में लगा दिया। 15 अगस्त, 1947 को आजादी के वीरों को ऐतिहासिक सफलता मिली और देश के इतिहास में वह हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो गए।

हर रोज चलते थे 16 से 19 किलोमीटर

महात्मा गांधी के बताए हुए रास्ते आज भी पथप्रदर्शक हैं। बापू के शब्द और उनके तौर-तरीके लोगों को इस तरह प्रभावित करते थे कि देश में लाखों लोग एक आवाज में उनके पीछे चल पड़ते थे। 12 मार्च, 1930 को महात्मा गांधी ने ‘दांडी नमक मार्च’ (दांडी मार्च, नमक मार्च, दांडी सत्याग्रह) की शुरूआत की थी। इस मार्च को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में बेहद अहम माना जाता है। बापू ने अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से यात्रा शुरू की थी। दांडी गांव पहुंचने के लिए वह हर रोज 16 से 19 किलोमीटर चलते थे। अंग्रेज सरकार ने नमक के ऊपर कर लगा दिया था, जिसके विरोध में यह आंदोलन किया गया था।

1942 में शुरू किया ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन

1942 में महात्मा गांधी ने ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू किया था। स्वतंत्रता की लड़ाई में इस आंदोलन का भी अहम योगदान माना जाता है। बापू ने आजादी की लड़ाई लड़ते हुए देश में कास्ट सिस्टम, जातिवाद, पुरुष प्रधान समाज और छुआछूत से भी खूब लड़ाई लड़ी थी। बापू अहिंसा के पुजारी थे और वह लोगों को भी अहिंसा के मार्ग पर चलने की सीख देते थे। यह उनकी विचारधारा का ही असर था कि भारतीयों ने अंग्रेजों से शांतिपूर्ण तरीके से लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की। यही वजह है कि वह विश्व नेताओं के लिए प्रेरणा बन गए। बापू की जयंती पर भारत में ही ही नहीं बल्कि कई देशों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और उन्हें याद किया जाता है।

पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने बुलाया था ‘राष्ट्रपिता’

बहुत कम लोग इस बारे में जानते होंगे कि महात्मा गांधी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया था। बोस ने 4 जून, 1944 को सिंगापुर रेडियो स्टेशन से एक संदेश प्रसारित करते हुए ‘राष्ट्रपिता’ महात्मा गांधी कहा था। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि मोहनदास करमचंद गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधि रवींद्रनाथ टैगोर ने दी थी। कई रिपोर्ट्स में कहा जाता है कि समाज सुधारक स्वामी श्रद्धानंद ने 1915 में हरिद्वार के पास आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में बापू को ‘महात्मा’ की उपाधि देकर सम्मानित किया था। श्रद्धानंद दयानंद सरस्वती के अनुयायी थे। 1926 में श्रद्धानंद का निधन हो गया था।

राष्ट्रीय पर्व है गांधी जयंती

भारत में तीन राष्ट्रीय पर्वों में महात्मा गांधी की जयंती भी शामिल है। राष्ट्रपिता की जयंती पर सरकारी व प्राइवेट संस्थानों में छुट्टी घोषित की गई है। स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। बापू को याद किया जाता है और बच्चों को महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी प्रेरणादायक बातें बताई जाती हैं और उनका अनुसरण करने की बात कही जाती है। 2 अक्टूबर को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri Birth Anniversary) की भी जयंती मनाई जाती है। पूर्व पीएम ने ही ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया था।

Mahatma Gandhi Birth Anniversary: हे राम सहित इन फिल्मों में दिखाई दिए महात्मा गांधी, इस मूवी को मिला ऑस्कर

राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।