गूगल ने आज फ्रेंच एक्टर और प्लेराइटर मोलिरे की याद में डूडल बनाया है। मोलिरे ने आज के ही दिन वर्ष 1673 में अपने आखिरी नाटक ‘ले मेलाडे इमेजिनेयर’ का प्ले किया था। मोलिरे को 17वीं शताब्दी का महान कलाकार और फ्रेंच थिएटर का सबसे बड़े कलाकार बताया जाता है। मोलिरे का वास्तविक नाम जीन-बाप्टिस्ट पोक्युलीन था। मोलिरे जन्म 15 जनवरी 1622 को पेरिस में हुआ था
मोलिरे ने अपने आखिरी नाटक में मेडिकल प्रोफेशन पर व्यंग के जरिए काफी चोट की थी। गूगल ने डूडल के जरिए मोलिरे के कुछ प्रसिद्ध नाटकों ‘स्कूल फॉर वाइव्स’, ‘डॉन जुअन’ और ‘द माइजर’ को तस्वीरों के माध्यम से बताया है। इन तस्वीरों में उनकी नाटक अनुसार प्रशंसा भी की गई हैं। उनके आखिरी नाटक में उन्हें ब्रेवो यानि बहादुर बताया गया है।
समाज में व्याप्त कुरीतियों पर की चोट
मोलिरे ने फ्रेंच के साथ-साथ कई भाषाओं में प्ले किए। इसके अवाला उन्होंने कई भाषाओं का लेखक और साहित्यकार माना जाता है। उन्होंने अपने नाटकों और राइटिंग के जरिए समाज में व्याप्त कुरीतियों को व्यंगात्मक अंदाज में पेश किया, जिसकी वजह से उन्हें कई बार लोगों की आलोचना का शिकार होना पड़ा। अपने प्ले में वह खास म्यूजिक का भी प्रयोग करते थे जोकि उनके नाटकों को काफी प्रभावी बनाते थे।
प्ले पर लगा बैन
मोलिरे ने अपना नाटक यानि थियेटर का सफर 1640 से शुरू किया। वर्ष 1664 में उनके एक प्ले ‘टार्टफ’ में उन्होंने धार्मिक रूढ़िवादिता पर चोट की थी। जिससे उनका यह प्ले विवादों में घिर गया और किंग लुइस 15 ने इस पर बैन लगा दिया। पांच साल बाद इस प्ले से बैन हटा। इसके बाद जब लोगों ने यह प्ले देखा तो उन्होंने मोलिरे की तारीफें की। आपको बता दें कि मोलिरे के पिता एक बड़े व्यापारी थे, लेकिन उन्होंने उनके साथ काम ना करते हुए, एक्टिंग और राइटिंग की दुनिया में कदम रखा।
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