गूगल ने इंटरनेट के 30 साल पूरे होने पर बनाया शानदार डूडल, जानिए किस वैज्ञानिक की डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू की खोज

गूगल ने आज वर्ल्ड वाइड वेब यानि डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू के 30 साल पूरे होने पर डूडल बनाया है। इसके अलावा गूगल डूडल ने इसकी खोज करने वाले वैज्ञानिक टिम बर्नर ली के योगदान को भी याद किया है।

गूगल ने इंटरनेट के 30 साल पूरे होने पर डूडल बनाया। (फोटोः गूगल)

गूगल ने आज वर्ल्ड वाइड वेब यानि डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू यानि  के 30 साल पूरे होने पर डूडल बनाया है। इसके अलावा गूगल डूडल ने इसकी खोज करने वाले वैज्ञानिक टिम बर्नर ली के योगदान को भी याद किया है। आज से तीस साल पहले इंटरनेट के इस वेब एड्रेस की खोज हुई थी। गूगल ने किसी अपने डूडल में उस दौर के कम्प्यूटर बनाया हुआ है जिसमें पूरे विश्व को दिखाया है। इसके अलावा इस कम्प्यूटर से निकले इंटरनेट के वायर को भी दिखाया है।

किसी भी वेबसाइट के पहले डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू  लगाया जाता है। डाक्यूमेंट्स का ग्रुप वर्ल्ड वाइड वेब कहलाता है। यह हाइपरटेक्स्ट के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। इसका सबसे पहले वैज्ञानिक टिम बर्नर ली ने 1989 में किया। लेकिन इसे आम लोगों तक इसको पहुंचने में करीब दो साल लग गए। पूरी दुनिया के लिए यह 1991 में शुरू हुआ।

इंग्लैंड में हुआ जन्म

दुनिया को इंटरनेट की सौगात देने वाले वाले टिम बर्नर ली का जन्म इंग्लैंड में हुआ। उन्होंने शुरुआत से ही इंटरनेट और तकनीक पर काम करने की दिशा में काम किया।  उन्होंने क्वींस कॉलेज और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। साल 1976 में उन्होंने भौतिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की। उनकी गणित भी बहुत अच्छे से आती थी।

जेनेवा में किया इंटरनेट का आविष्कार

टिम बर्नर ली ने जेनेवा के यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन में काम करते इंटरनेट और वर्ल्ड वाइड वेब का अविष्कार किया। सबसे पहले इसका प्रयोग 1989 में टिम बर्नर ली की सर्न लैब में ही किया। उन्होंने  इस दिशा में 1980 काम करना शुरू कर दिया था।  सर्न लैब में 1984 में एक फेलो के तौर पर उन्हें काम करने का मौका मिला। लैब में कई तरह के ढेर सारे कंप्यूटर्स थे, जिनपर अलग-अलग फॉरमैट में डेटा स्टोर किया जाता था।

ऐसे किया तैयार

टिम बर्नर का काम इस डेटा को एक से दूसरे कम्प्यूटर तक सही तरीके से पहुंचाने का था। यहीं उनके दिमाग में एक सवाल आया कि क्या कोई ऐसा तरीका हो सकता है, जिससे सभी सूचनाओं और डेटा को एकसाथ पिरोया जा सकता है। इसका हल उन्हें वर्ल्ड वाइड वेब के रूप में मिला।

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रमेश कुमार :जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) से बीए (हॉनर्स) पॉलिटिकल साइंस में डिग्री लेने के बाद रामजस कॉलेज में दाखिला लिया और डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटकल साइंस में पढ़ाई की। इसके बाद आईआईएमसी दिल्ली।