पूरे भारत में जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का त्योहार शनिवार यानी 24 अगस्त को मनाए जाने वाला है, लेकिन इससे पहले आज यानी 21 अगस्त को लोग हलछठ (Hal Chhath 2019) मना रहे हैं। हलछठ को भगवान बलराम (Balaram) की जयंती के तौर पर मनाया जाता है, जोकि श्री कृष्ण के बड़े भाई हैं। इस दिन को हलछठ इसलिए कहा जाता है क्योंकि बलराम का प्रमुख शस्त्र हाल ही है, इसलिए इस दिन हल की पूजा की जाती है।
नार्थ इंडिया में इस त्योहार का अलग ही महत्व है। इसे राजस्थान में चंद्र षष्ठी, गुजरात में रंधन छठ और ब्रज में बलदेव छठ के रूप में जाना जाता है। इसके साथ ही हलछठ को अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है जैसे हर छठ, बलराम जयंती, ललही छठ, बलदेव छठ, रंधन छठ, हर छठ, चंदन छठ, टिन छठ। भाद्रपद कृष्ण षष्ठी तिथि को हलछठ व्रत-पूजा की जाती है। संतान की प्राप्ति और पुत्र की लंबी उम्र की कामना के लिए इस दिन व्रत रखा जाता है।
हलछठ पर महिलाएं रखती हैं निर्जल व्रत
भगवान बलराम (Hal Chhath Balaram) के प्रमुख उपकरण मूसल और फावड़े थे और लोग आज अच्छी फसल के लिए इन उपकरणों की पूजा करते हैं। यह भी माना जाता है कि महिलाएं अपने पुत्रों की भलाई के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। इस दिन मां निर्जल व्रत रखती हैें। हल छठ बुधवार के दिन 21 अगस्त को मनाया जा रहा है। षष्ठी तिथि 21 अगस्त, 2019 को सुबह 5.30 बजे से शुरू होगी और 22 अगस्त, 2019 को सुबह 7.06 बजे समाप्त होगी।
हलछठ का व्रत करते समय रखे इन चीजों का ध्यान
– महिलाएं इस दिन गाय का नहीं बल्कि भैंस के दूध का इस्तेमाल करती हैं।
– इस दिन हल की पूजा की जाता है ऐसे में कोई भी अन्न या फिर फल हल से जाता हुआ नहीं खाया जाता।
– इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं महुआ के दातुन से दांत साफ करती हैं।
-इतना ही नहीं व्रत का समापन महिलाएं भैंस के दूध से बने दही और महुवा को पलाश के पत्ते पर खाकर करती हैं।