एक और जब उत्तर भारत में मकर संक्रांति (Makar Sankranati) का त्यौहार मनाया जाता हैं, वहीं दक्षिण भारत में इसे पोंगल (Pongal) के नाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार के मौके सूर्य भगवान की पूजा की जाती है और गुड़ और चावल की खीर बना कर उनको भोग लगाया जाता है। उनके भोग को ही ‘पोंगल’ कहा जाता है। यह त्यौहार पूरी तरह से एग्रीकल्चर और प्रकृति समर्पित है।
दक्षिण भारतीय किसान पोंगल को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। पोंगल में लोग बेटियों की लंबी आयु और अच्छे वर के लिए कामना करते हैं। इस त्यौहार की खास बात यह है कि पोंगल (Happy Pongal) मकर संक्रांति की तरह एक दिन नहीं, बल्कि चार दिनों (15 जनवरी से 18 जनवरी तक) तक मनाया जाता है। इन चार दिनों की अपनी-अपनी अहम भूमिका है।
भोगी पोंगल
पोंगल के पहले दिन को भोगी पोंगल कहते हैं। भोगी पोंगल की शाम को अपने घर से पुराने और खराब कपड़े इकट्ठा कर उसे जलाते हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि लोग अपनी अंदर की बुराइयों को खत्म करते हैं।
सूर्य पोंगल
पोंगल के दूसरे दिन को सूर्य पोंगल कहते हैं। इस दिन त्यौहार के नाम से ही एक खीर बनाते हैं। ये खीर नये धान, मूंग दाल और गुड़ से बनाई जाती है और सूर्य देवता को भोग लगाया जाता है।
मट्टू पोंगल
पोंगल के तीसरे दिन को मट्टू पोंगल कहा जाता है। माना जाता है कि मट्टू भगवान शंकर का बैल है। इस दिन किसान अपने बैलों को विशेष तौर पर नहलाते हैं और उनको सजाते हैं। उसके बाद उनकी पूजा करते हैं और उनको भोग लगात हैं।
कन्या पोंगल
पोंगल के चौथ दिन को कन्या पोंगल कहा जाता है। इस दिन महिलाएं घर के दरवाजों पर रंगोली बनाती हैं। इस दिन लोग गुड़ की खीर (पोंगल) को एक-दूसरे घर पर देते हैं।
यहां देखिए पोंगल पर कैसे बनाए रंगोली…
देखिए अल्लु अर्जुन की तस्वीरें…