हिंदू धर्म के अंदर हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2019) व्रत के अपनी ही मान्यताएं और महत्व है, जिसे हर सुहागन करती है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की कामना के लिए इस दिन व्रत रखती है। इस बार कई लोगों को इस चीज में दुविधा हो रही है कि आखिर हरतालिका व्रत (Hartalika Teej Fast) 1 सिंतबर को रखा जाएगा या फिर 2 सिंतबर को। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि किस दिन आप का व्रत रखना फायदेमंद साबित होगा।
पति, परिवार और बच्चों की खुशी के लिए हरितालिका व्रत आप 1 सितंबर को रखें। दरअसल शादीशुदा महिलाएं भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीयी तिथि को ये व्रत रखती है। इस बार ये तिथि 1 सितंबर को रविवार के दिन सुबह 8 बजकर 26 मिनट से लेकर 4 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। वहीं, बात करें 2 सितंबर की तो उस दिन उदया तिथि चतुर्थी होगी। ऐसे में आप हरतालिका व्रत का पूजन रविवार के दिन ही करें।
हरतालिका तीज 2019 पर पूजा का समय
इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। शाम को पूजा करने का समय 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 58 मिनट तक का है।
हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज का अपने ही खास महत्व है। हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बना है। हरत और आलिका। हरत का मतलब है अपहरण और आलिका से तात्पर्य है सहेली। प्राचीन मान्याताओं के मुताबिक मां पर्वती की सहेली उन्हें घने जंगल में ले जाकर छिपा देती है ताकि उनके पिता उनकी शादी भगवान विष्णु से न करा पाए। इस दिन जो भी महिलाएं व्रत रखती है उन्हें भगवान शिव-पार्वती अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं। वहीं, कुंवारी लड़कियां इस दिन करती है तो उन्हें मनचाहे वर मिलता है।
हरतालिका तीज पर ये होने चाहिए पूजा सामग्री
व्रत करने से एक दिन पहले ही तैयार करके रख लें पूजा की सामग्री, जोकि कुछ इस प्रकार से है- इसके लिए गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल-फूल, तुलसी,नारियल, घी, कपूर, दही, चीनी, दूध और शहद की जरूरत है।
मां पार्वती की सुहान सामग्री में ये चीजे करें शामिल
– मेहंदी
-चूड़ी
– बिछिया
-काजल
-बिंदी
-कुमकुम
-सिंदूर
-कंघी
-माहौर
-सुहाग
-पिटारी
हरतालिका तीज की पूजा करने की विधि
इस दिन पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल का मतलब दिन-रात के मिलने का समय। इस दिन शिव-पर्वती की पूजा कुछ इस तरह से होती है।
– संध्या के समय एक बार फिर नहाना पड़ता है और सुंदर वस्त्र पहनने के बाद इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं।
-गीली मिट्टी से भगवान शिव और मां पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बनाएं-दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं।
-दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं
-सुहाग की सामग्री मां पार्वती को अर्पित करें।
-भगवान शिव को वस्त्र अर्पित करें
-अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें
– इसके बाद आप सबसे पहले भगवान गणेश और फिर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें।
-अब भगवान की आप परिक्रमा करें।
-रात भर जागरण करने के बाद सुबह स्नान करने के बाद फिर से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें।
-इसके बाद हल्वे का भोग भगवान को चढ़ाएं और उसके साथ ही अपना व्रत खोलें।
– पूजा समाप्त हो जाने के बाद आप श्रृंगार का सामान किसी शादीशुदा महिला को दे दें।