सैफई मेडिकल कॉलेज में सामने आया रैगिंग का मामला, सीनियर्स ने मुंडवा दिए 150 छात्रों के सिर

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का सैफई मेडिकल कॉलेज (Saifai Medical College) सूबे में ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों में भी काफी मशहूर है। यहां सीनियर्स के रैगिंग लेने का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है।

छात्रों का सिर मुंडवाने के मामले में कॉलेज प्रशासन जांच कर रहा है। (फोटो- एएनआई)

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का सैफई मेडिकल कॉलेज (Saifai Medical College) इस समय खासा सुर्खियों में है। मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां के सीनियर छात्रों ने रैगिंग लेने के लिए 150 जूनियर छात्रों का सिर मुंडवा दिया। मामले के तूल पकड़ते ही कॉलेज में हड़कंप मच गया। कॉलेज प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इटावा स्थित उत्तर प्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंस कैंपस में उस समय हंगामा मच गया, जब सिर मुंडवाए हुए 150 एमबीबीएस छात्र कैंपस में दाखिल हुए। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा और यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉक्टर राजकुमार ने जांच के आदेश देते हुए दोषी छात्रों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की बात कही।

बताया जा रहा है कि इन 150 छात्रों में कुछ लड़कियां भी शामिल हैं। पीड़ित छात्रों का आरोप है कि सीनियर्स ने उनसे जबरन सिर मुंडवाने को कहा था। ऐसा ना करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी। कॉलेज प्रशासन के साथ-साथ पुलिस भी मामले की जांच कर रही है। सूबे के चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने इस मामले में कुलपति से जवाब तलब किया है। पीड़ित छात्रों के माता-पिता ने दोषी छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

बताते चलें कि सैफई मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस, एमडी, एमएस और पैरामेडिकल सब्जेक्ट्स की पढ़ाई होती है। यूजीसी की ओर से रैगिंग के संबंध में सभी कॉलेजों को गाइडलाइन भी जारी की जा चुकी है। कुलपति डॉक्टर राजकुमार ने बताया कि उनके कॉलेज में रैगिंग पर रोकथाम के लिए स्क्वॉयड भी बनाए गए हैं। वह समय-समय पर जूनियर छात्रों से उनकी समस्याओं को लेकर बातचीत करते रहते हैं।

एक एनजीओ के अनुसार, 2016 की तुलना में देश में रैगिंग के मामलों में 80 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2016 में जहां रैगिंग के 86 मामले सामने आए थे, वहीं 2017 में यह बढ़कर 171 और 2018 में 163 हो गए। इनमें ज्यादातर मामले मेडिकल कॉलेजों से जुड़े थे। कई राज्यों में रैगिंग को लेकर खास कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद आए दिन सीनियर छात्रों द्वारा रैगिंग लेने के मामले सामने आते रहते हैं।

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राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।