होली इस बार 21 मार्च को मनाई जाने वाली है। इसके साथ ही वहीं, होलिका दहन 20 मार्च को किया जाएगा। होली को कई जगहों पर दुल्हैंडी भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग की मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा की तारीख को होलिका दहन किया जाता है। इसके बाद अलगे दिन रंग का त्योहार होली मनाई जाता है। इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या होगा, पूजा की विधि क्या होगी इसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 8:58 से शुरु होकर खत्म 11:34 रात को होने वाला है। इसके साथ ही 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं। जिसको लेकर हिंदू धर्म में ऐसी मान्यताओं है कि इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।
होलिका दहन में जरूरी है ये चीजें
होलिका दहन में पूजा के लिए चावल, फूल, साबुत हल्दी, के साथ-साथरोली, कच्चा सूत, पांच या सात प्रकार के अनाज, एक लोटा जल, मिठाइयां और फल होने चाहिए।
इस तरह से होलिका दहन की पूजा विधि
होलिका दहन की पूजा करते वक्त सबसे पहले सारी चीजें थाली में रख लें। इसके बाद पूजा के लिए पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर अपना बैठें जाएं। इसके बाद लोटे में से जल लेकर अपने आसपास छि़ड़कें। इसके बाद नरसिंह भगवान के आगे हाथ जोड़कर होलिक पर अनाज की बालियां, रोली बताशे फूल और चावल चढ़ाएं। होलिका जलाने से पहले अपना नाम, अपने पिता का नाम और फिर गोत्र का नाम लेकर चावल उठाएं और भगवान श्री गणेश का स्मरण करते हुए होलिका पर अपर्ति करें। इसके बाद प्रह्लाद का नाम लें और फल, फूल और हल्दी चढ़ाएं। बाद में कच्चा सूत हाथ में लेकर होलिका पर लपेटते हुए अपनी परिक्रमा पूरी करें। अंत में लोटे से जल उसमें चढाएं।
क्यों किया जाता है होलिका दहन
होलिका दहन मनाने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण है। एक कथा के मुताबिक एक नगर में एक अत्याचारी राजा हिरणकश्यप रहा करता था। जिसे जबरदस्त तपस्या के बाद ब्रह्मा से अमर होने का वरदान प्राप्त हुआ था। वरदान में उसने मांगा था कि कोई भी जीव- जन्तू , देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य, सुबह या फिर शाम को उसे मार न सकें। अपने ही घमंड में चुर हिरणकश्यप चाहता था कि हर कोई उसकी ही पूजा करें लेकिन उसका खुद का बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था। ऐसे में गुस्से में आकर हिरणकश्यप ने प्रह्लाद को भगवान विष्णु की आराधना ना करने की बात कही। लेकिन वो इस बात के लिए नहीं माना। ऐसे में हिरण्यकश्यप ने उसे जाने से मारने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने अपनी बहन होलिका का सहारा लिया। होलिका को आग से बचने का वरदान प्राप्त था। ऐसे में होलिका की मदद से आग में जलाकर भक्त प्रह्लाद को मारने की योजना बनाई गई, लेकिन होलिका पर ही ये चीज भारी पड़ गई। होलिका जब भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठी तो वो खुद तो जल गई लेकिन भक्त प्रह्लाद इस आग में भगवान विष्णु की वजह से बच गया।
यहां देखिए पूजा से जुड़ा वीडियो…