देशभर में इस अंदाज में मनाया जाता है होली का त्योहार, यहां जानिए अलग-अलग कैसे मनाते हैं जश्न

देश में अलग-अलग राज्य और समुदाय के बीच होली का त्यौहार अलग-अलग अंदाज और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। जैसे उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन की लठमार होली, पूर्वी उत्तर प्रदेश या बिहार में फगुआ मनाया जाता है।

देशभर में अलग-अलग परंपरा से होली मनाई जाती है। (फोटोः ट्विटर/क्रिएटिव)

होली का त्योहार हर साल पूरे देश में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस बार होली 21 मार्च मनाई जाएगी। देश में अलग-अलग राज्य और समुदाय के बीच होली का त्यौहार अलग-अलग अंदाज और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। जैसे उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन की लठमार होली, पूर्वी उत्तर प्रदेश या बिहार में फगुआ मनाया जाता है। ऐसे ही पूरे पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गोवा और मणिपुर में भी कुछ अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है। यहां हम आपको बताएंगे की इन राज्यों और राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में किस तरह-तरह मनाया जाता है।

लट्ठमार होली
आपको हम पहले ही लट्ठमार होली के बारे में बता चुके हैं। मथुरा के बरसाना में फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को लट्ठमार होली मनाई जाती है। बरसाना में इस होली का काफी महत्व है। लट्ठमार होली में एक पत्नी अपने पति को और एक प्रेमिका अपने प्रेमी का लट्ठ मारती है। लेकिन पति या प्रेमी के एक ढाल रहती है, जिससे वह अपना बचाव करता है। ऐसा माना जाता है कि महिलाओं के लिए ये दिन बहुत खास होता है। इस गली और गांव की महिलाएं एक साथ घर के बाहर निकल कर अपने पति या प्रेमी के साथ लट्ठमार होली खेल कर प्यार जताती है। होलिका दहन के बाद फिर रंग से होली खेली जाती है।

उत्तराखंड की गीत बैठकी
उत्तराखंड जितना अपनी सुंदरता के लिए पॉपुलर है। उतना ही अपने कल्चर और परिधानों के लिए भी प्रसिद्धा है। यहां के नैनीताल और अल्मोड़ा जिले में होली को कुछ खास अंदाज में मनाया जाता है। यहां पुरुष और महिलाएं इकट्ठा होकर सबसे पहले एक-दूसरे को गुलाल-रंग लगाती हैं। इसके बाद एक समूह में बैठकर लोग गाना गाते हैं। इसे गीत बैठकी के नाम से जाना जाता है। इस बैठक में होली के गीत के साथ-साथ होली से जुड़ी पौराणिक कथाओं और राधा-कृष्ण के गीत भी गाए जाते हैं।

बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश का फगुआ
पूर्वी उत्तर प्रदेश बिहार की सीमा से सटे होने और भाषा के कारण यहां के कल्चर और बोली लगभग एक जैसी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के पश्चिमी हिस्सों की भाषा भोजपुरी है। भाषा और कल्चर एक होने की वजह दोनों के यहां होली का त्यौहार भी खास अंदाज में मनाया जाता है। इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में फगुआ या रंग कहा जाता है। यहां होली की शुरुआत बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाती है। यहां होली खेलने का सबसे अलग अंदाज है। यहां कीचड़, गोबर से भी होली खेली जाती है। रंग-गुलाल लगाया है। लड़कों के झुंड शहर-गांव की गलियों में निकलते हैं और फगुआ और जोगिरा गाते हैं।

मध्य प्रदेश में भगोरिया
मध्य प्रदेश के झाबुआ, खरगोन और धार सहित इसके आसपास के क्षेत्रों में होली का अंदाज बिल्कुल ही खास है। आपको शायद ही मालूम होगा कि यहां होली के दिन लड़के और लड़कियां अपने जीवनसाथी का चुनाव करते हैं। इस दौरान यहां मेला भी लगता है और बाजार रंगों और पिचकारियो से सजे होते हैं।

मणिपुर में याओसांग
देश भर की होली से विपरीत यहां की होली बहुत ही खास होती है। यहां होली के त्योहार को याओसांग कहा जाता है। यहां रंग वाले दिन यानि जिस दिन हम होली खेलते हैं। होली से कुछ दिन पहले यहां के लोग नदी या तालाब के किनारे एक झोपड़ी बनाते हैं और इसमें चैतन्य प्रभु की मूर्ति स्थापित करते हैं। होलिका दहन वाले दिन इस इस झोपड़ी को जला दिया जाता है। इसके बाद कई लोग इसकी राख से होली खेलते हैं। और अपने माथे पर इसका तिलक लगाते हैं।

दोल जात्रा
पश्चिम बंगाल का कल्चर काफी अलग है, तो होली का पवित्र त्योहार कैसे पीछे छूट सकता है। होली के एक दिन पहले यहां दोल यात्रा निकली जाती है। महिलाएं राधा-कृष्ण की पूजा करती हैं। जगह-जगह प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं। राधा-कृष्ण की मूर्तियों को झूले में रखा जाता है। और अपने मोहल्ले और गांव और गलियों में घूमा जाता है। लोग घूम-घूम कर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं।

यहां देखिए हॉल ऑफ फेम अवार्ड का वीडियो…

रमेश कुमार :जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) से बीए (हॉनर्स) पॉलिटिकल साइंस में डिग्री लेने के बाद रामजस कॉलेज में दाखिला लिया और डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटकल साइंस में पढ़ाई की। इसके बाद आईआईएमसी दिल्ली।