पूरे देश में होली के जश्न की तैयारी शुरू हो चुकी हैं। भारत की विशालता और संस्कृति में इतना अंतर है कि यहां पर एक कहा जाता है ‘कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी।’ उत्तर प्रदेश में ही तीन अलग-अलग तरीके से होली मनाई जाती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होली मनाने की संस्कृति और परंपरा अलग-अलग है। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में भी खास तरीके से मनाई जाती है। यहां हम आपको बताएंगे उत्तर प्रदेश में किस तरह से होली मनाई जाती है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होली
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की पवित्र धरती पर हुआ। मथुरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। यहां कि होली काफी खास होती है। यहां की होली देखने के लिए देश-विदेश ले लोग आते हैं। यहां फूलों से होली खेली जाती है। यहां की लट्ठमार होली फेमस है। मथुरा के वृंदावन, बरसाना और नंदगाव में होली का खास महत्व है और यहां लट्ठमार होली भी खेली जाती है। होली के एक हफ्ते से पहले ही लट्ठमार होली शुरू हो जाती है। में एक पत्नी अपने पति को और एक प्रेमिका अपने प्रेमी का लट्ठ मारती है। लेकिन पति या प्रेमी के एक ढाल रहती है, जिससे वह अपना बचाव करता है। बरसाने में लट्ठमार होली की परंपरा द्वापर युग यानि कृष्ण और राधा के बीच जब प्रेम हुआ, तबसे चली आ रही है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश का फगुआ
पूर्वी उत्तर प्रदेश में होली का ढंग और रंग बहुत ही अलग होता है। यहां होली के मौके पर फगुआ और जोगिरा गाया जाता है। यहां होली का आगाज बसंत पंचमी यानि सरस्वती पूजा से ही शुरू हो जाता है। यहां की हवा में रंग घुलना शुरू हो जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में होली का महत्व दिवाली से भी ज्यादा खास होता है। यहां का जो भी व्यक्ति बाहर कमाने गया होता है वह इस मौके पर अपने घर आ जाता है। होली को लेकर भोजपुरी गीत का ट्रेंड भी बना रहता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश होली को फगुआ या रंग कहा जाता है। यहां होली खेलने का सबसे अलग अंदाज है। यहां कीचड़, गोबर से भी होली खेली जाती है। रंग-गुलाल लगाया है। लड़कों के झुंड शहर-गांव की गलियों में निकलते हैं और फगुआ और जोगिरा गाते हैं।
बुंदेलखंड का फाग चौपाल
उत्तर प्रदेश के बुदेलखंड में होली का कुछ खास ही महत्व होता है। होली के दौरान यहां होली के गीत गाए जाते हैं। लोग चौपाल लगाते हैं। राधा-कृष्ण के किस्से और कहानियां गाते हैं। इसके साथ-साथ लोग ऐसे ढोलक और मंजीरे के साथ गलियों में घूमते हैं, अबीर गुलाल उड़ाते हैं और नाचते-गाते हैं। वहीं बुंदेलखंड के कई जगहों पर टेसू, पलास और सेमल के फूलों को सुखा कर होली खेली जाती है। होली को किसानों का त्योहार भी माना जाता है। इस दौरान श्रृंगार रस भी गाए जाते हैं। महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे एक साथ मिलकर नाचते हैं।
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