रंगों का त्योहार होली सद्भाव और आपसी भाईचारे का प्रतीक है। इस साल 21 मार्च को रंग खेला जाएगा। इसे ‘धुलंडी’ भी कहा जाता है। मगर इससे पहले जानना जरूरी है कि होलिका दहन इस त्योहार का सबसे अहम हिस्सा है। पौराणिक काल से ही होलिका दहन का महत्व है। दरअसल कहा जाए तो होलिका दहन से ही यह त्योहार जुड़ा है। भद्रा में होलिका दहन वर्जित होता है। मंगलवार को 11.42 बजे से चतुर्दशी तिथि लग चुकी है। यह बुधवार सुबह 9.19 बजे तक रहेगी। इसके तुरंत बाद 20 मार्च को 9.20 बजे सुबह पूर्णिमा और भद्रा लग जाएगी।
इस लिहाज से 20 मार्च की रात 8.12 बजे तक पूर्णिमा और भद्रा रहेगी। बुधवार रात 8.13 मिनट पर ही होलिका दहन किया जा सकता है। बताते चलें कि भद्रा में होलिका दहन और रक्षाबंधन त्योहार मनाना वर्जित होता है। होली के त्योहार को भी बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को उनकी बुआ होलिका (हिरण्यकश्यप की बहन) की अग्नि भी जला नहीं पाई थी। 20 मार्च को होलिका दहन के अगले दिन यानी 21 मार्च को रंगों का त्योहार ‘धुलंडी’ मनाई जाएगी।
बताते चलें कि उत्तर भारत के राज्यों में होली का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। रंगों के इस त्योहार पर घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इन पकवानों में सबसे प्रमुख पकवान गुजिया होती है। घरों में होली के गीत गाए जाते हैं, महिलाओं की बैठकी लगती है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में पुरुषों के होली मनाने का तरीका भी महिलाओं की बैठकी से प्रेरित होता है। महिलाओं की तरह पुरुष भी होली पर महफिल जमाते हैं और बैठकी के जरिए आपसी भाईचारे की भावना का विस्तार करते हैं और सद्भाव का संदेश देते हैं।
‘बिग बॉस’ के एक्स कंटेस्टेंट करणवीर बोहरा की बेटी बेला और विएना ने कुछ ऐसे मनाई होली…