दीपावली से केवल दो दिन पहले धनतेरस का पवित्र त्योहार आता है। इस दिन लोग सोना, चांदी, कपड़े आदि खरीदते हैं। इस बार धनतरेस 5 नवंबर को पड़ा है। धनतेरस वाले दिन भगवान धन्वतंरी की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपको ये जानकारी है कि दिवाली से महज दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार आखिर क्यों मनाया जाता है।
धनतेरस वाले दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन से सोने का कलश के साथ उत्पन्न हुए थे। यहीं वजह है कि धनतेरस वाले दिन सोना या बर्तन खरीद जाते हैं। धनवंतरी के समुद्र से निकलने के दो दिन बाद समुद्र से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थी, इसलिए दीपवाली से महज दो दिन पहले ही धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि धनवंतरी भगवान विष्णु का ही एक अवतार हैं। उनकी पूजा करने से स्वास्थ्य में फायदा होता है और दुनिया में विज्ञान और इलाज के विस्तार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार समुंद्र के अंदर से लिया था।
पूजा का शुभ मूहूर्त
यदि आप धनतेरस में पूजा का शुभ मूहूर्त जानना चाहते है तो हम आपको बता दें कि धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त का समय 1 घंटा 55 मिनट है। प्रदोष काल में शाम 5.29 से रात 8.07 बजे तक, वृषभ काल में शाम 6:05 बजे से रात 8:01 बजे तक, त्रयोदशी तिथि आरंभ में 5 नवंबर को सुबह 01:24 बजे,
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 5 नवंबर को रात्रि 11.46 बजे तक हैं।
मंत्र – देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः
पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः
ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि
वहीं, धनतेरस वाले दिन कुबरे जी की भी पूजा की जाती है। कुबेर देवता को सभी देवताओं का कोषाध्यक्ष माना जाता है। इसी के चलते कुबेर जी की पूजा लक्ष्मी और गणेशजी के साथ की जाती है।