हिन्दुस्तानी विमान ने पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर ऐसे गिराई गाज, जानिए मिराज फाइटर प्लेन की खासियत

भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान से पुलवामा आतंकी हमले का बदला ले लिया है। इंडियन एयरफोर्स के 12 'मिराज 2000' लड़ाकू विमानों ने मंगलवार तड़के पाकिस्तान के बालाकोट और मुजफ्फराबाद सेक्टर में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर सैकड़ों आतंकियों को मौत के घाट उतारा।

वायुसेना के 12 'मिराज 2000' लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में बरसाए 1000 किलोग्राम के बम। (फोटो- ट्विटर)

भारतीय वायुसेना ने मंगलवार तड़के पाकिस्तान की हद में घुसकर पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों का बदला लिया। वायुसेना ने 12 ‘मिराज 2000’ लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल कर आतंक के खिलाफ इस कार्रवाई को अंजाम दिया। इन फाइटर प्लेन्स की मदद से वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट और मुजफ्फराबाद सेक्टर स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर 1000 किलोग्राम के बमों से एयर स्ट्राइक कर आतंकियों के दर्जनों लॉन्चिंग पैड्स को नेस्तनाबूद किया और करीब 300 आतंकियों को मौत के घाट उतारा।

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने मंगलवार सुबह खुद ट्वीट कर सबूत के तौर पर दुनिया को इसकी जानकारी दी। वायुसेना ने अपने ऑपरेशन के लिए मंगलवार सुबह 3.30 बजे का वक्त चुना। 21 मिनट तक चली इस कार्रवाई के दौरान पाकिस्तानी सेना के हाथ-पांव फूल गए। इस सैन्य कार्रवाई में बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी कैंप का सफाया हो गया है।

इस कैंप का संचालन आतंकी संगठन के सरगना मसूद अजहर का साला यूसुफ अजहर करता था। वायुसेना की ओर से की गई इस बमबारी में आतंकी संगठन के कई सीनियर कमांडर मारे गए हैं। क्या आप जानते हैं कि वायुसेना ने इस ऑपरेशन के लिए ‘मिराज 2000’ लड़ाकू विमानों को ही क्यों चुना, अगर नहीं तो जानिए इस फाइटर प्लेन की खासियतें…

‘मिराज 2000’ का निर्माण फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन ने किया है। राफेल विमान का निर्माण भी दसॉ एविएशन ने ही किया है, जिसे लेकर देश में इस वक्त सियासत गर्माई हुई है।

1970 में मिराज 2000 लड़ाकू विमान का डिजाइन तैयार किया गया था। साल 1982 में भारत सरकार ने फ्रांस से 36 फाइटर प्लेन्स को खरीदने के फैसले पर मुहर लगाई थी।

दसॉ एविएशन ‘मिराज 2000’ को समय-समय पर अपग्रेड भी करती रहती है। आखिरी बार इन्हें साल 2015 में अपग्रेड किया गया था। नए रडार और इलेक्ट्रोनिक सिस्टम से लैस होने के बाद इसकी शक्ति में काफी इजाफा हो गया।

चौथी पीढ़ी के डबल इंजन वाले इस अत्याधुनिक लड़ाकू विमान ‘मिराज 2000’ की लंबाई 47 फीट है और इसका वजन करीब साढ़े सात हजार किलो है।

इस लड़ाकू विमान की अधिकतम रफ्तार 2336 किमी प्रति घंटा है। करीब 14 हजार किलो गोला-बारूद लेकर भी यह विमान इसी रफ्तार से उड़ान भर सकता है।

यह मल्टीरोल विमान एक ही समय में दुश्मनों के ठिकानों पर बमों और लेजर लैस मिसाइलों को गिराने में सक्षम है। यह विमान ‘डेफा 554’ ऑटोकैन से लैस है, जिसका मतलब है कि इसमें लगे 30 मिमी रिवॉल्वर तोप 1200 से लेकर 1800 राउंड प्रति मिनट की दर से फायरिंग कर सकते हैं।

भारत के अलावा इस समय 9 देशों की वायुसेना इस लड़ाकू विमान का इस्तेमाल कर रही है।

कारगिल वॉर के दौरान ‘मिराज 2000’ ने अहम भूमिका निभाई थी। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास इसके दो बेड़े हैं। एक बेड़े में 16 से 18 विमान होते हैं।

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राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।