कोरोना वायरस के प्रकोप से जहा पूरा देश परेशान है। वही, कुछ लोग इस महामारी को गंभीरता से नहीं ले रहे है। देश में संक्रमित मामलें लगातार आग की तरह फैलता जा रहा है। इस बीच कोरोना से संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर किसी भगवान से कम नहीं है। देश के डॉक्टर्स जो दिन रात मरीजों को ठीक करने में लगे हुए है। आज उनकी ही जान कुछ लोग संकट में डाल दे रहे है। देश में ऐसे कई मामलें अब तक सामने आगए है जिसमें डॉक्टर्स पर कुछ लोग हमला कर रहे है। इस बीच डॉक्टरों पर हो रहे हमलों को लेकर आईएमए ने आज रात 9 बजे सांकेतिक प्रदर्शन और कल काला दिवस मनाने का फैसला किया था।
जिसके बाद खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अपना सांकेतिक विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया है। अमित शाह ने कहा, ‘हमारे डॉक्टरों की अपने कार्य स्थल पर सुरक्षा और प्रतिष्ठा से समझौता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हर समय उनके लिए अनुकूल माहौल सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। मैंने डॉक्टरों को आश्वासन दिया है कि मोदी सरकार उनकी हिफाजत के लिए प्रतिबद्ध है और उनसे प्रस्तावित विरोध पर पुनर्विचार करने की अपील की है.’
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बता दे, सांकेतिक प्रदर्शन को वापस लेते हुए आईएमए ने कहा कि आज हमारी गृह मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों से बातचीत हुई। गृह मंत्री अमित शाह पूरे मामले को समझ रहे हैं और वे इस मामलें को लेकर चिंचिंत हैं। भारत सरकार ने डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने का वादा किया है. हमें सरकार पर भरोसा है, इसलिए प्रदर्शन वापस ले रहे हैं। देश में ऐसे मामलें सामने आ चुके है जिसमे डॉक्टरों को घर से निकलना, मार पीट करना, दुर्व्यवहार, कोरोना संक्रमित का इलाज कर रहे डॉक्टर जो पॉजिटिव होकर अपनी जान गवा चुके है उनके शवों को दफनाने ना देना और भी ऐसे कई मामलें है। लेकिन अब इस पर मेडिकल स्टाफ बहुत नाराज हो गई है।
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