Coronavirus Updates: भारत में कोरोना वायरस की वजह से सब कुछ उथलपुथल मचा हुआ हैं। इस वायरस की चपेट में आकर पूरी दुनिया के लाखों लोग अपनी जान गवा चुके हैं। अब मानी बात हो गई है कि कोरोना की गंभीरता और मृत्य दर महिला मरीजों की तुलना में पुरुषों में अधिक होती है। एक प्री-प्रिंट स्टडी मुताबिक कोरोनावायरस का महिला और पुरुष मरीजों में अलग अलग असर होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, ह्यूस्टन मेथोडिस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी ऑफ टेनेसी हेल्थ साइंस सेंटर के रिसर्चर्स के मुताबिक इसके लिए विभिन्न फैक्टर जिम्मेदार हो सकते हैं। जैसे कि दोनों लिंगों की जेनेटिक संरचना और संक्रमण के लिए संवेदनशीलता बढ़ाने वाली आदतें हो सकती हैं।
यूरोप के लिए 19 अप्रैल की साप्ताहिक निगरानी रिपोर्ट में WHO ने इंगित किया कि पूरे महाद्वीप में Covid-19 की कुल मौतों में 63 फीसदी मरीज पुरुष थे। Covid-19 निगरानी ग्रुप की ओर से तैयार मार्च की एक और रिपोर्ट के मुताबिक इटली में कोरोनावायरस से हुई मौतों में करीब 29.1 फीसदी महिलाएं थी। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास, ह्यूस्टन मेथोडिस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी ऑफ टेनेसी हेल्थ साइंस सेंटर की स्टडी (अभी तक समकक्षों से समीक्षा नहीं हुई) में पहले की महामारियों जैसे की SARS (2002-03) और MERS (2012) की Covid-19 के डेटा से तुलना की गई है। विश्लेषण बताता है कि संक्रमण दर समान होने के बावजूद तीनों बीमारियों में पुरुषों की मृत्यु दर ऊंची रही।
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पुरानी तिथि से की गई तुलना बताती है कि हॉन्गकॉन्ग में SARS बीमारी के दौरान पुरुषों की मृत्यु दर 21.9 फीसदी और महिलाओं में 13.2 फीसदी रही. इसी तरह MERS बीमारी में पुरुषों की 21.2 फीसदी की तुलना में महिलाओं की मृत्यु दर 15.2 फीसदी ही रही। जहां तक मौजूदा Covid-19 का सवाल है तो कई देशों में मृत्यु दर के आंकड़े पुरुष-महिला के आधार पर वर्गीकृत नहीं किए गए हैं। लेकिन अमेरिकी स्टडी का अनुमान है कि मृत्यु दर के संदर्भ में MERS, SARS-CoV और SARS-CoV2 (Covid-19) में पुरुषों की महिलाओं से अधिक मौत हुई हैं।
रिसर्च के मुताबिक एक संभावित वजह महिलाओं मे X-लिंक्ड जीन्स का लिंग आधारित मॉडयूलेशन हो सकता है जो संक्रमण के लिए संवेदनशीलता को बढ़ा सकता है। रिसर्चर्स तर्क देते हैं कि पुरुषों और महिलाओं में कोरोनावायरस को लेकर प्रतिरोधक रिस्पॉन्स अलग अलग हो सकता है। पुरुषों में खासी तादाद में धूम्रपान से जुड़ी आदतों और कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं से जुड़ी पहले से मौजूद बीमारियां भी ऐसे नतीजे आने की एक और अहम वजह रहीं। सऊदी अरब के लोगों में MERS बीमारी को लेकर रिसर्चर्स ने पाया कि संभवत: इसका कारण उनका बहुत यात्राएं करना और तरह तरह के लोगों के संपर्क में आना रहा। रिसर्चर्स के मुताबिक एक और कारण हाथ धोने की आदतें हो सकता है। स्टडी में पाया गया, 2003 में 175 लोगों पर स्टडी से सामने आया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक हाथ धोती हैं। महिलाओं में ये 61 फीसदी और पुरुषों में 37 फीसदी रहा। स्टडी के मुताबिक महिलाओं की बेहतर प्रतिरोधक सुरक्षा उपलब्ध कराने वाले संभव बायोलॉजिकल फैक्टर्स की भूमिका पर और शोध किए जाने की जरूरत है। रिसर्च को यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के स्वामीनाथन पी अय्यर, ह्यूस्टन मेथोडिस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के जोए एंसर और यूनिवर्सिटी ऑफ टेनेसी हेल्थ साइंस सेंटर के रूद्रगोपाल चन्नपानाव्रत ने अंजाम दिया।
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