Jaya Ekadashi 2020:जया एकादशी (Jaya Ekadashi) व्रत, व्रतों में सबसे सर्वश्रेष्ठ व्रत माना जाता है। इस व्रत को स्वयं भगवन श्रीकृष्ण ने राजा कहा है। जया एकादशी व्रत इस साल 5 फरवरी को आने वाला है। जया एकादशी 4 फरवरी रात्रि 9.48 बजे से फरवरी को रात्रि 9.30 बजे तक रहेगा। इस दिन गन्ने के रस का फलाहार किया जाता है।
जया एकादशी 2020 समय और शुभ मुहूर्त
एकादशी 4 फरवरी को रात्रि 9.48 बजे से प्रारंभ होगी और 5 फरवरी को रात्रि 9.30 बजे पूर्ण होगी। एकादशी का पारण 6 फरवरी को प्रातः 6.38 से 8.40 तक रहेगा।
जया एकादशी व्रत क्या करे और क्या ना करें?
शास्त्रों के अनुसार जया एकादशी व्रत के दिन पवित्र मन से भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। एकादशी के दिन श्री विष्णु का ध्यान करके संकल्प करें और फिर धूप, दीप, चंदन, फल, तिल, एवं पंचामृत से विष्णु की पूजा करे। मन में द्वेष, छल-कपट, और वासना की भावना नहीं लानी चाहिए। नारायण स्तोत्र एवं विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। जो भी इस दिन व्रत करते है वह दशमी के दिन एक समय आहार करना चाहिए। इस दिन मास-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। लहसुन, प्याज, बैंगन, तंबाकू और पान सुवारी का परहेज करना चाहिए।
जया एकादशी व्रत की पूजा विधि
अगर आप इस दिन व्रत करना चाहते है तो, ब्रह्मा मुहूर्त में स्नान कर सबसे पहले विष्णु भगवान का ध्यान करना चाहिए, उसके बाद एकादशी का संकल्प करना चाहिए। एक साफ़ सुथरे स्थान पर लाल कपडा बिछाये और फिर उसपर भगवान विष्णु की फोटो फ्रेम या प्रतिमा रखें। फिर गंगाजल में तिल मिलकर चरों तरफ अक्षत के छींटे फेंके। और फिर उसके बाद धुप और दीप जलाये और भगवान् विष्णु को फूल चढ़ाये। भगवान विष्णु का पाठ करें और फिर आरती करें। भगवान विष्णु को तिल का भोग लागए। इस दिन तिल को शुभ माना जाता है तो इसलिए आप इस दिन तिल को दान में भी दे सकते हो। अगले दिन सुबह भगवान् श्रीकृष्ण का पूजा करके ब्राह्मण को भोजन कराये और उन्हें दान में कुछ भी दें। इसके बाद ही आपका व्रत पूरा होगा।
जया एकादशी व्रत की कथा
कथा के अनुसार एक समय नंदन वन में उत्सव चल रहा था। इस उत्सव में सभी देवता, योगी और दिव्य पुरूष उपस्थित थे। उस समय गंधर्व गायन कर रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य प्रस्तुत कर रही थीं। सभा में माल्यवान नामक एक गंधर्व गायन कर रहा था और पुष्यवती नामक गंधर्व कन्या नृत्य कर रही थी। इसी बीच पुष्यवती की नजर जैसे ही माल्यवान पर पड़ी वह उस पर मोहित हो गई। माल्यवान को आकर्षित करने के लिए पुष्यवती सभा की मर्यादा को भूलकर मदमस्त होकर नृत्य करने लगी। माल्यवान भी गंधर्व कन्या की भाव भंगिमा देखकर सुध बुध खो बैठा और गायन की मर्यादा से भटक गया। इससे उसके सुर ताल बिगड़ गए।
इस व्रत से क्या फायदा होता है?
जया एकादशी के बारे में कहा जाता है कि जहां मनुष्य का भाग्य भी साथ नहीं देता, वहां जया एकादशी का व्रत प्रत्येक काम में जीत दिलाने में मदद करता है।
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Jaya Ekadashi Vrat Katha