Jivitputrika Vrat 2019 Date: इस दिन रखा जाएगा जीवित्पुत्रिका व्रत, जानिए जिउतिया उपवास रखने का सही समय और कथा

Jivitputrika Vrat 2019 Shubh Muhurat: देश में 21 सितंबर के दिन जीवित्पुत्रिका व्रत 2019 रखा जाएगा। इस व्रत को कई लोग जिउतिया या जितिया के नाम से भी जानते हैं। ये व्रत विशेष तौर पर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की महिलाएं अपने बेटे की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।

वित्पुत्रिका व्रत हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रखा जाता है। (फोटोः ट्विटर)

Jivitputrika Vrat 2019: भारत एक देश है, जहां बहुत सारी संस्कृतियां और रीति रिवाज हैं। यहां हिंदू धर्म में ही कई तरह के त्योहार मनाने और व्रत रखने की परंपरा है। देश में अधिकत्तर व्रत एक मां रखती है, अपने बेटों के लिए। ऐसा एक व्रत इस शनिवार यानी 21 सितंबर को शुरू होगा। इस व्रत का नाम जीवित्पुत्रिका व्रत है। कई जगह इसे जिउतिया या जितिया भी कहा जाता है। इस व्रत को मुख्य तौर पर नेपाल, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की महिलाएं रखती हैं। महिलाएं इस व्रत को अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। वह निर्जला उपवास करती हैं।

जीवित्पुत्रिका व्रत 2019 शुभ मुहूर्त

आपको बता दें कि जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat Date Time) हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रखा जाता है। वैसे इस व्रत की शुरुआत सप्तमी से नहाय-खाय के साथ हो जाती है और नवमी को पारण के साथ समापन होता है। इस साल यह व्रत 21 सितंबर सुबह 7:51 बजे शुरु होगा और 22 सितंबर को सुबह 7: 20 बजे खत्म होगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत कथा

वैसे तो इस व्रत (Jivitputrika Vrat Katha) के पीछे कई कथाएं हैं। लेकिन इसकी महाभारत काल से जुड़ी एक कथा का काफी महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अश्वथामा अपने पिता की मृत्यु की वजह से क्रोध में थे। उन्हें मारने वाले पांडवों की से बदला लेना चाहते थे। एक दिन उन्होंने शिविर में घुस कर सोते हुए पांच लोगों को मार डाला। उसे लगा कि ये पांडव हैं। लेकिन वो सब द्रौपदी के पांच बेटे थे। इस अपराध की वजह से अर्जुन ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उसकी मणि छीन ली। इससे आहत अश्वथामा ने उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, जिसका चूकना नामूमकिन था, लेकिन उत्तरा की संतान का जन्म लेना जरूरी था। जिस वजह से श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्य का फल उत्तरा की गर्भ में मरी संतान को दे दिया और वह जीवित हो गया। गर्भ में मरकर जीवित होने के वजह से उसका नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा और यही आगे चलकर राज परीक्षित बने। तब से ही इस व्रत को रखा जाता है।

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रमेश कुमार :जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) से बीए (हॉनर्स) पॉलिटिकल साइंस में डिग्री लेने के बाद रामजस कॉलेज में दाखिला लिया और डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटकल साइंस में पढ़ाई की। इसके बाद आईआईएमसी दिल्ली।