बीजेपी के वरिष्ठ नेता जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। सोमवार को बीजेपी के संसदीय बोर्ड की हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की मौजूदगी में जेपी नड्डा के नाम की घोषणा हुई। हालांकि, इस घोषणा में ये स्पष्ट कर दिया गया कि अमित शाह अगले 6 महीने तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे। उनके मार्गदर्शन में जेपी नड्डा कामकाज संभालेंगे।
इस बैठक के बाद रक्षा मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने ट्वीट करके कहा, ‘अमित शाह जी के नेतृत्व में भाजपा ने कई चुनाव जीते, लेकिन जब से प्रधानमंत्री ने उन्हें गृह मंत्री नियुक्त किया, अमित शाह जी ने खुद कहा कि पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी और को दी जानी चाहिए। भाजपा संसदीय बोर्ड ने जेपी नड्डा को कार्यकारी अध्यक्ष चुना है।’ गौरतलब हो कि जगत प्रकाश नड्डा राज्यसभा के सदस्य हैं।
देखिए राजनाथ सिंह का ये ट्वीट…
The @BJP4India has won several elections under the leadership of party president Shri @AmitShah. After the Prime Minister Shri @narendramodi appointed him the Home Minister, Amitji himself had said that the responsibility of party president should be given to someone else. 1/2
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) June 17, 2019
जानिए जेपी नड्डा के राजीतिक सफर के बारे में…
पटना के ब्राह्मण फैमिली में 2 दिसंबर 1960 में जन्में जे पी नड्डा ने अपनी शिक्षा सेंट जेवियर और पटना यूनिवर्सटी से पूरी की है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के लॉ कॉलेज से एलएलबी किया है। उनका राजनीति में रूझान 1977 से ही शुरू हो गया था जब वो पहली बार जे पी आंदोलन के वक्त इंदिरा गांधी के सरकार के खिलाफ स्टूडेंट यूनियन के लीडर के तौर पर चुने गए थे।
हिमाचल प्रदेश में एलएलबी की पढ़ाई के दौरान जेपी नड्डा को काफी पॉपुलैरिटी मिली थी। उन्होंने यहां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ज्वॉइन करके आरएसएस से जुड़ गए। 1984 में एबीवीपी ने स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया को हराकर पहली बार जीत हासिल की। इस जीत के बाद नड्डा को स्टूडेंट यूनियन का प्रेसिडेंट बना दिया गया।
वो 1986 से लेकर 1989 तक एबीवीपी के जेनरल सेकेटरी के तौर पर नियुक्त रहें। 1991 में नड्डा को भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया गया। 33 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार 1993 में हिमाचल प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ा। वो 1998 और 2007 में लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। बीजेपी सरकार के कार्यकाल में जेपी नड्डा दो बार हिमाचल के मंत्री के तौर पर काम कर चुके हैं। 2010 में प्रेम कुमार धूमल से मनमुटाव होने के पद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके तुरंत बाद नितिन गडकरी ने उन्हें बीजेपी के राष्ट्रीप पार्टी में शामिल कर लिया।
जहां धूमल हिमाचल के राजनीतिक में व्यस्त थे वहीं, नड्डा राष्ट्रीय स्तर पर अपना धाक जमाने की तैयारी में थे। नड्डा ने 2012 में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। वो 2012 में राज्यसभा के सदस्य के तौर पर नियुक्त किए गए। ऐसा माना जाता है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में अमित शाह संग नरेंद्र मोदी की जीत में नड्डा की भी अहम भूमिका थी। वो बीजेपी के जेनरल सेकेटरी के तौर पर 2014 में कार्यरत थे, जो दिल्ली हेडक्वार्टर में राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के कैम्पेनिंग का काम देख रहे थे। उस वक्त राजनाथ सिंह बीजेपी के अध्यक्ष थे।
बीजेपी के अध्यक्ष से राजनाथ सिंह के हटने के बाद जेपी नड्डा को ही सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था। लेकिन अमित शाह ने ये बाजी मार ली और वो पार्टी के अध्यक्ष बन गए। वहीं, नड्डा को 2014 में महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई। यहां बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की थी। इसके बाद नड्डा को बीजेपी कैबिनेट में शामिल करके हर्षवर्धन की जगह उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बना दिया गया।
गौरतलब हो कि नड्डा की इस दौड़ में उनका मुकाबला भूपेंदर यादव से था। आपको बता दें कि भूपेंदर यादव बिहार और गुजरात में बीजेपी के जेनरल सेकेटरी के इनचार्ज हैं। लोकसभा चुनाव में इन दोनों राज्य में बीजेपी ने 100 प्रतिशत रिजल्ट हासिल किया था। जहां गुजरात में सभी 26 वहीं, बिहार के सभी 17 सीटों पर बीजेपी ने इस चुनाव में अपनी जीत दर्ज कराई थी। लेकिन भूपेंदर को पीछे कर जेपी नड्डा ने बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी अपने नाम करा ली।