बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर एक बयान दिया है। इस बायन में कंगना पीएम मोदी से लेकर 2019 में होने वाले लोक सभा चुनावों के बारे में बात कर रही हैं। उनके इस बयान को सुनने के बाद साफ है कि वो मोदी और उनकी सरकार की सपोर्टर है। कंगना ने पीएम मोदी और सरकार के बारे में बात करते हुए कहा है, “पांच साल बहुत कम है किसी भी देश को खड्डे से निकालने के लिए। आप जानते हैं कि देश खड्डे में है, हमें इसे बाहर निकालने की जरुरत है। इसके लिए पांच साल काफी नहीं हैं।
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की दावेदारी पर कंगना ने कहा, निश्चित ही उन्हें अगले साल फिर से सत्ता में आना चाहिए, क्योंकि 5 साल का समय देश को गड्ढे से बाहर निकालकर विकास की राह पर ले जाने के लिए कम है। उन्होंने कहा, अगर देश को एक विकसित राष्ट्र के रूप में हमें देखना है, तो नरेंद्र मोदी को अगले साल फिर से सत्ता में लाना होगा।
जब कंगना से पूछा गया कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को बीते चार सालों में आप किस तरह देखती हैं, तो इस पर कंगना कहती हैं कि पीएम मोदी सबसे योग्य उम्मीदवार हैं। वह इस जगह पर अपनी मां और पिता की बदौलत नहीं पहुंचे हैं। वह लोकतंत्र के सबसे सही नेता हैं। हमने उन्हें अपने प्रधानमंत्री के रूप में वोट किया था। प्रधानमंत्री पद उनके लिए सबसे योग्य है, क्योंकि इसे पाने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। इसलिए उनके प्रधानमंत्री की दावेदारी पर किसी तरह के प्रश्न का सवाल ही नहीं उठता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बचपन पर बनी शार्ट फिल्म ‘चलो जीते हैं’ 29 जुलाई, रविवार को रिलीज हो रही है। मंगेश हदावले निर्देशित शॉर्ट फिल्म प्रधानमंत्री के बचपन का संघर्ष दिखाया है। कंगाना रनौत ने इस फिल्म की स्क्रीनिंग के मौके पर प्रधानमंत्री की जमकर तारीफ की। बता दें कि शॉर्ट फिल्म ‘चलो जीते हैं’ की स्पेशल स्क्रीनिंग राष्ट्रपति भवन में की गई। इस फिल्म को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने देखा था। यह फिल्म प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की सत्य घटनाओं पर आधारित है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि नरु नाम के एक छोटे सा बच्चा देश के लिए कुछ करना चाहता है और बाल मन में देश के प्रति यह प्रेम स्वामी विवेकानंद की किताब पढ़ने के बाद आया। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि ‘वही जीते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं। बस यही विचार नरु के मन में घर कर लेता है और फिर शुरू होती है उसके संघर्ष की दास्तां। 32 मिनट की यह फिल्म मंगेश हदावाले ने निर्देशित की है।