हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का अपना एक महत्व है। देवउठनी एकादशी के दिन ही तुलसी जी की शादी शालिग्राम से कराई जाती है। इस बार ये दिन 19 नवंबर को पड़ा है। विष्णु जी के अवतार के रूप में ही शालिग्राम जी को देखा जाता है। दोनों की शादी बड़े ही धूमधाम से कराई जाती है। तुलसी मां का श्रृंगार दुल्हन की तरफ तो, वहीं शालीग्राम से दुल्हे की तरह व्यवहार किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जिनके घर में बेटियां नहीं होती वो तुलसी विवाह करके कन्या दान का सुख भोग सकता है।
तुलसी विवाह समाग्री में रोली, हल्दी, सिंदूर, चावल,श्रृंगार का सामान, गंगा जल, कपूर, तुलसी जी का कपड़ा, आरती की किताब, अगरबत्ती, धूपबत्ती। वहीं भोग लगाने के लिए फल में केला, सेब, गन्ना जरूर चढ़ाया जाता है। आंवला, सिंगड़ जैसे मौसम में मिलने वाले फल आप चढ़ा सकते है। वहीं घर में बनी मिठ्ठी पूरी भी बनाकर आप चढ़ा सकते हैं। चने की दाल भीगों कर रख लें और गुड़ चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही पूजा में फूलों की माला और घी के दीये भी होने चाहिए।
तुलसी पूजा के दौरान करें ये काम
– तुलसी पूजा के वक्त जहां अपने तुलसी का पौधा लगाया हुआ है उसे किसी भी रंग से रंगना चाहिए। साथ ही चारों तरफ रंगोली बनानी चाहिए।
– तुलसी पूजा के वक्त आसपास का एरिया साफ होना चाहिए। स
– सबसे पहले तुलसी के पौधे पर गंगा जल के छिड़के।
– फिर कुमकुम लगाए
– इसके बाद हल्दी लगाए।
– बाद में उन्हें सिंदूर और सुहाग चढ़ाना चाहिए।
– ये सब कुछ हो जाने के बाद फिर चावल चढ़ाएं और तुलसी मां को वस्त्र पहनाएं। आप चाहे तो तुलसी जी के लिए अपने हाथों से भी कपड़े बना सकते हैं।
– ऐसे में तुलसी जी का विवाह है तो उन्हें इस दिन अच्छे से उन्हें सजाना चाहिए। फिर फूल माला चढ़ानी चाहिए।
– बाद में कोई भी श्रृंगार का सामान हो उसे तुलसी मां को चढ़ाना चाहिए।
– गन्ने को चढ़ाना चाहिए।
– घर में जो भी फल आपके मौजूद है उनसे तुलसी के पौधे पर चढ़ाएं।
– सचे मन से तुलसी मां को प्रणाम करना चाहिए।
– इसके बाद गुड और चने की दाल को एक साथ मिलकर भोग लगाना चाहिए।
– घर में जो भी आपने बनाया हो उसका भोग लगाना चाहिए।
– पांच घी के दीये जलाकर आरती करें बाद में उन दीयो को रंगोली पर सजा दें।
– इसके बाद तुलसी माता की आरती करें ।
– आखिर में तुलसी मां को प्रणाम करना चाहिए और किसी भी तरह की भूलचुक के लिए माफी मांगनी चाहिए।