दिवाली हिंदुओं के सबसे पवित्र और बड़े त्योहार में से एक आता है। इस दिन हर एक घर रोशनी से जगमगाए हुए दिखाई देता हैं। लोगों अपने घर के आंगन में मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए रंगोली बनाते है। ऐसा कहा जाता है कि रावण को मार कर भगवान राम अयोध्या वापस आए थे। इसी की खुशी में लोगों ने दीप जलाकर राम भगवान का स्वागत किया गया था। वहीं, कार्तिक अमावस्या की रात काफी अंधेरी वाली होती है। ऐसे में इस दिन दीए जलाकर चारों तरफ रोशनी की जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस बार की दिवाली 7 नवबंर को है यदि आप भी चाहते है कि इस दिवाली मां लक्ष्मी आपके घर में आकर ठहरे तो आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि पूजा की विधि क्या है? पूजा की सामग्री क्या है? और मां लक्ष्मी को खुश करने का क्या मंत्र है?
दिवाली की पूजा के लिए सामान की बात की जाए तो वो कुछ इस तरह से है.- दिवाली की पूजा में मां लक्ष्मी, सरस्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा या फिर पूजा के लिए लें, रोली, कुमकुम, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी तथा तांबे के दीपक, रुई, कलावा, नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहू, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, घृत, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, गंगाजल, यज्ञोपवीत, लाल कपड़ा, चौकी कलश, कमल गट्टे की माला, शंख,आसन, थाली, चांदी का सिक्का, देवताओं के लिए प्रसाद।
यदि बात करें दिवाली वाले दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने की तो वो कुछ इस प्रकार से करें….
– सबसे पहले चौकी को साफ करने के बाद आटे का इस्तेमाल करते हुए नवग्रह यंत्र बनाएं।
– कलश में दूध,दही, शहद, गंगाजल, लौंग लेकर उस पर लाल कपड़ा बांधे ले और उस पर एक नारियल रख दें। बाद में आटे से बनाए गए नवग्रह यंत्र पर चांदी का सिक्का रखें और मां लक्ष्मी, सरस्वती और गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करके गंगाजल से स्नान कराएं। रोली और चावल से उन्हें टीका लगाए।
– भगवान के विग्रह के बाई तरफ देसी घी का दिया जलाएं। इसके बाद दाहिने हाथ से भगवान को इत्र, फुल, मिठाई, फूल और जल चढ़ाएं।
– पहले से तैयार किए गए 11 या फिर 12 सरसों के तेल के दीये जलाकर रखें।
– दीये जलाने के बाद दाहिने हाथ में फुल और चावल लेकर मां लक्ष्मी, गणेश और अपने कुलदेवता का ध्यान पूजा में करें। इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और मां लक्ष्मी का पूजन करें।
– इसके बाद दीये पर रोली और चावल से टीका करें और अग्निदेव का ध्यान करें। साथ ही मां लक्ष्मी को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। भगवान को चढ़ाई गई सामग्री किसी को भी दान या फिर गिफ्ट के तौर पर न दें।
– दिवाली वाले दिन काम में तरक्की पाने के लिए स्थिर मन से श्रीसूत का पाठ करें। ऐसा करते वक्त गणपति और लक्ष्मी जी के साथ इस पूजा में भगवान विष्णु जी को भी स्थापित करें। मां लक्ष्मी को भगवान विष्णु के दाहिनी तरफ स्थापित करें। बाद में तीनों भगवान की पूजा करें।
मां लक्ष्मी को यदि आप इस दिवाली खुश करना चाहते है तो करें इन मंत्रों का उचारण
ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:, ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:, ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:, ॐ कामलक्ष्म्यै नम:,
ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:, ॐ योगलक्ष्म्यै नम:.
ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतो पिवा ।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर:।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
दिवाली पर पूजा का शुभ मुहूर्त
दिवाली वाले दिन में लक्ष्मी की पूजा का समय 6:20 से 6:30 तक है। वहीं, प्रदोष काल में 5:36 से 8: 14 बजे तक, वृष लग्न में 6:08 से 8:05 बजे, सिंह लग्न में मध्यरात्रि 12:38 से 2 : 54 बजे तक।