भगवान श्री कृष्ण का उत्सव जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2019) इस बार 23 और 24 अगस्त को मनाए जाने वाला है। हर बार की तरह इस बार भी बेहद ही धूमधाम के साथ इस पर्व को पूरे भारत में मनाया जाएगा। यह दिन भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं जन्मष्टमी से जुड़ा इतिहास और इसकी खासियत के बारे में।
लगभग पांच हजार साल पहले की बात है जब द्वापर युग में मथुरा (Mathura) में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। उस समय मथुरा का राजा कंस (Kans) था जोकि अपनी बहन देवकी से बेहद स्नेह करता था। उनकी बहन देवकी की शादी वासुदेव नाम के राजकुमार से हुई। एक समय कंस अपनी बहन देवकी को उसके ससुराल पहुंचाने जा रहा था। तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी के गर्भ से पैदा होने वाले आठवां बालक ही उसका काल बनेगा। ये सुनते ही कंस बेहद ही गुस्से में आ गया और उसने अपनी बहन को मारे के लिए तलवार उठा ली, तभी वासुदेव ने कंस से ये वादा किया कि वो अपनी आठों संतानों को जन्म होते ही उसे दे देंगे, लेकिन देवकी को ना मारे। इसके बाद कंस ने दोनों को कारागार में डाल दिया। देवकी ने अपनी सातों संतान को जन्म होते ही कंस को सौंप दिया और बारी-बारी करके कंस ने उन्हें मार डाला।
जब एक समय पर जन्मी दो संतान
माता देवकी के गर्भ से जब संतान के रूप में भगवान श्री कृष्ण का जन्म होने वाला था। उस समय नंद की पत्नी यशोदा के भी बच्चा पैदा होने वाला था। ऐसे में उन्होंने वसुदेव और देवकी के दुखे को देखकर आठवें बच्चे की रक्षा का उपाय रचा। जिस वक्त माता देवकी के गर्भ से श्री कृष्ण का जन्म हुआ, उसी वक्त यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ जोकि कुछ नहीं बल्कि सिर्फ माया थी।
भगवान विष्णु जब कारागार में हुए प्रकट
जिस कारागार में देवकी और वसुदेव जी बंद थे वहां भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने दोनों से कहा वो तुम मुझे इसी समय अपने दोस्त नंदजी के घर वृंदावन में लेकर चलों और वहां जिस कन्या का जन्म हुआ है उसे यहां ले आए। तुम बाकी चीजों की प्रवाह न करों। पहरेदार सभी सो जाएंगे, कारगाह के दरवाजे अपने आप खुल जाएंगे और यमुना खुद तुमको पार जाने का रास्ता देगी।
मायारूपी कन्या ने कंस से कहीं ये बात
स्कंद पुराण की माने तो जब कंस को देवकी के आठवीं संतान के बारे में पता चला तो वह कारगार पहुंचा और वहां उनसे आठवीं संतान के रूप में कन्या को पाया। जैसे ही वह उस कन्याको जमीन पर पटकने ही जा रहा था तभ वह मायारूपी कन्या आसमान में पहुंचकर बोली- रे मूर्ख मुझे मारने से क्या होगा। तेरा काल पहले से ही वृंदावन पहुंच चुका और तेरा अंत जल्द ही होगा।
कंस का हुआ अंत
इसके बाद देवकी के पुत्र का पता लगाने के लिए कंस ने हर प्रयास किया। जब उसे पता चला कि यशोदा का लाल ही कंस का अंत करेगा। ऐसे में कंस ने कई राक्षसों को श्री कृष्ण को मारने के लिए भेजा, लेकिन सारे प्रयास असफल रहे और उसे इस बात का एहसास हो गया कि नंदबाबा का पुत्र ही देवकी की आठवीं संतान है। इसके बाद कृष्ण ने युवावस्था में कंस का अंत करके और पापों का विनाश कर दिया।