जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2019) का त्योहार इस बार 23 और 24 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और वृंदावन में महीने भर पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती है। लोग श्रीकृष्ण की पूजा करने दूक-दूर से यहां आते हैं। मथुरा में बांके बिहारी के दर्शन के साथ-साथ लोग वृंदावन में भी बने मंदिरों और पवित्र स्थानों पर पूजा करते हैं। वृंदावन में एक ऐसी जगह भी है, जो भगवान श्रीकृष्ण के लिए बहुत ही खास है। मान्यता है कि श्रीकृष्ण यहां आज भी राधा के साथ आते हैं। इस जगह का नाम निधिवन है। निधिवन वो जगह है, जहां भगवान श्रीकृष्ण राधा के साथ रास रचाते थे। आज यहां राधारानी का मंदिर बना हुआ है।
वृंदावन (Vrindavan) में निधिवन जितनी पवित्र और खास जगह मानी जाती है, ये जगह उतनी ही रहस्यमयी मानी जाती है। इस जगह को लेकर को कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। निधिवन में हर पेड़ जोड़ो में हैं। कहा जाता है कि हर शाम श्रीकृष्ण यहां राधा के साथ रास रचाने आते हैं और ये सभी पेड़ गोपियां बन जाती हैं। इसलिए सुबह से दर्शन के लिए खुला रहने वाला निधिवन शाम को बंद हो जाता है। यहां कोई भी नहीं रुकता। दिन भर यहां भक्तों के साथ-साथ बंदरों और पक्षियों की चहल पहल रहती है, लेकिन शाम होते ही भक्तों के साथ-साथ यहां रहने वाले बंदर और पक्षी भी यहां से चले जाते हैं।
राधा-कान्हा के लिए सजाई जाती है सेज
एक मान्यता यह भी है कि निधिवन (Nidhivan Myestry) स्थित रंगमहल में कान्हा और राधा आते हैं। इसके लिए शाम 7 बजे से पहले चंदन की लकड़ियों से पलंग पूरी तरह से सजा दिया जाता है। पलंग के बलग में एक लोटा पानी, राधाजी का श्रृंगार का सामान, दातुन और मीठा पान रखा जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जब सुबह 5 बजे रंगमहल का कपाट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त मिलता है। लोटा खाली होता है, दातुन का इस्तेमाल होकर रखा रहता है और पान खाया हुआ मिलता है। यह श्रीकृष्ण और राधा रानी का चमत्कार माना जाता है। इसलिए रंगमहल में भक्त केवल श्रृंगार का सामान ही चढ़ाते हैं और उन्हें प्रसाद भी श्रृंगार के तौर पर मिलता है।
रासलीला देखने के चक्कर में भक्त ने खोया मानसिक संतुलन
सबसे हैरान करने वाली मान्यता यह है कि निधिवन बंद होने के बाद जो भी यहां रुकता है, उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया या फिर उसकी मौत गहोगई। यहां गोसाईं भीख चंद्र गोस्वामी बताते हैं कि यहां शाम होने के बाद इंसान क्या पशु और पक्षी भी नहीं रुकते। यहां पूरी तरह से सन्नाटा छा जाता है। वह बताते हैं कि लगभग 10 पहले राधा-श्रीकृष्ण (Radha Krishna Raas leela) के एक भक्त संतराम जयपुर से यहां आया। वह भगवान की भक्ति में इतना लीन हो गया कि उसने रासलीला देखने की ठान ली और चुपके से निधिवन में छिपकर बैठ गया। सुबह जब मंदिर के पट खुले तो वह बेहोश था। संतराम जब होश में आया तो वह अपना मानसिक संतुलन खो चुका था।
निधिवन में आसमान की तरफ नहीं, जमीन की ओर बढ़ते हैं पेड़
आपने सभी ने पेड़ों को ऊपर की ओर बढ़ते देखा होगा, लेकिन निधिवन में एक चमत्कार ये होता है कि यहं पेड़ों की डाल जमीन की ओर बढ़ती है। ऐसी मान्यता है कि यहां के वनतुलसी की कोई भी एक डंडी तक नहीं ले जा सकता है। जितने भी लोगों ने ऐसा किया वह किसी ना किसी आपदा का शिकार हो गए। इसलिए कोई इन्हें को छूता नहीं है।
निधिवन के पास बने घरों में खिड़कियां नहीं
इतना ही आपको यह जानकार भी हैरानी होगी कि निधिवन के आसपास बने घरों में कोई खिड़कियां नहीं है। वन कि तरफ कोई दरवाजा नहीं है। शाम 7 बजे के बाद कोई निधिवन (Nidhivan Temple) की तरफ देखता भी नहीं है। जिन लोगों ने इस वन की तरफ देखा या तो वो अंधे हो गए या उन पर कोई दैवीय आपदा आ गई। इसलिए शाम 7 बजे मंदिर की आरती होते ही लोग अपने घरों की खिड़किया बंद कर लेते हैं और निधिवन की तरफ नहीं देखते।