भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त होने का दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। भारत ने जाधव की सजा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत (International Court of Justice) में अपील की थी। नीदरलैंड के हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद बुधवार को अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगा दी।
कुलभूषण जाधव मामले में इंटरनेशनल कोर्ट के 16 न्यायाधीशों (15-1 से हुआ फैसला) ने फैसला सुनाया। भारत के पक्ष में 15 जजों ने फैसला सुनाया। साउथ एशिया की इंटरनेशनल लीगल एडवाइजर रीमा ओमेर ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय अदालत ने मेरिट के आधार पर भारत के पक्ष में फैसला दिया है। अदालत ने पाकिस्तान को जाधव की सजा, सजा की प्रभावी समीक्षा और उसपर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। जाधव को काउंसलर एक्सेस भी मिलेगा।
अंतराष्ट्रीय अदालत ने अपने फैसले में वियना संधि का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने इस संधि का उल्लंघन किया है। पाकिस्तान ने मानवाधिकारों का भी उल्लंघन किया है।
बुधवार दोपहर भारत के गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने इस बारे में मीडिया से कहा था कि कुलभूषण जाधव को भी भारत सरकार अभिनंदन वर्तमान की तरह वापस लेकर आएगी। बताते चलें कि पूर्व नौसेना अधिकारी जाधव रिटायर होने के बाद ईरान के चाबहार में अपना कारोबार कर रहे थे। इस दौरान उन्हें पाकिस्तान ने अगवा कर लिया था।
पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को जासूसी और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई थी। भारत ने जाधव की सजा का विरोध करते हुए इंटरनेशनल कोर्ट में अपील की थी। बुधवार को फैसला आने से पहले देश के कई राज्यों में कुलभूषण जाधव की रिहाई के लिए प्रार्थनाएं की गईं। मुंबई में जाधव के परिवार और दोस्तों ने भी उनकी रिहाई के लिए कामना की।
न्यूज एजेंसी ANI ने किए यह ट्वीट्स…
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