एम. करूणानिधि का फ़िल्मी सफ़र रहा है ऐसा, बैन हुई फिल्में तो राजीनीति में जमाया सिक्का

डीएमके नेता एम. करुणानिधि राजनीती में बल्कि फिल्में लिखकर हुए थे लोकप्रिय

डीएमके नेता एम. करुणानिधि राजनीती में बल्कि फिल्में लिखकर हुए थे लोकप्रिय

डीएमके नेता एम. करुणानिधि को तबीयत खराब होने के बाद उन्हें चेन्नई के कावेरी अस्पताल में एडमिट कराया गया है। फिलहाल उन्हें आईसीयू में रक्खा गया है | डॉक्टरों की मानें तो के मुताबिक उनकी हालत स्थिर है। तमिलनाडु के राजनीती के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया था और खासकर फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखे जाने के लिए याद किये जाते है| आइए नजर डालते हैं, उनके फ़िल्मी सफ़र पर…

करुणानिधि ने तमिल फिल्म इंडस्ट्री में एक स्क्रिप्ट राइटर के रूप में अपना करियर शुरू किया। अपने तेज़ दिमाग और व्याख्यात्मक कौशल के माध्यम से वह तेजी से एक लोकप्रिय राजनेता के रूप में उभरे। वह ऐतिहासिक और सामाजिक (सुधारवादी) कहानियों को लिखने के लिए प्रसिद्ध थे, जिन्होंने द्रविड़ आंदोलन के समाजवादी और तर्कसंगत आदर्शों को प्रचारित किया था| उन्होंने पहली बार फिल्म परासक्ति के माध्यम से अपने राजनीतिक विचारों का प्रचार किया| अपने इन्ही विचारों को सभी तक पहुंचाने के लिए उन्होंने तमिल सिनेमा का उपयोग करना शुरू किया। परासक्ति तमिल सिनेमा में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि उसने द्रविड़ आंदोलन की विचारधाराओं को प्रेरित किया और तमिल फिल्मों में शिवाजी गणेश और एस.एस राजेंद्रन जैसे दो प्रमुख कलाकारों को भी पेश किया|

हालाँकि इस फिल्म को शुरुआत में बैन कर दिया गया था लेकिन अंततः 1952 में रिलीज़ किया गया था। यह एक बड़ा बॉक्स ऑफिस हिट था, लेकिन इसकी रिलीज विवादों की वजह से खराब हो गई थी। इस फिल्म का रूढ़िवादी हिंदुओं ने विरोध किया क्योंकि इसमें ऐसे तत्व शामिल थे जिन्होंने ब्राह्मणवाद की आलोचना की थी। करुणानिधि द्वारा लिखी गई दो अन्य फिल्में जिनमें ऐसे संदेश शामिल थे, पानम और थंगरथनाम थे। इन फिल्मों में विधवा पुनर्विवाह, छुआछूत, आत्म सम्मान विवाह, ज़मीनदार के उन्मूलन और धार्मिक पाखंड के उन्मूलन जैसे विषय शामिल थे।हालाँकि मजबूत सोशल मैसेज के साथ उनकी फिल्में और नाटक लोकप्रिय हो गये| जिसके बाद 1950 के दशक में उनके दो नाटकों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।

हालाँकि आगे चलकर उन्होंर राजनीती में अपना हाथ जमाया और लोकप्रिय नेता बनकर उभरे|

श्रेया दुबे :खबरें तो सब देते हैं, लेकिन तीखे खबरों को मजेदार अंदाज़ में आपतक पहुंचाना मुझे बहुत अच्छा लगता है। पिछले चार साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में हूं। कुछ नया सीखने की कोशिश कर रही हूं। फिलहाल इंटरनेट को और एंटरटेनिंग बना रही हूं।