Maha Shivaratri 2020: महाशिवरात्रि हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार में से एक माना जाता है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरम्भ अग्निलिंग ( जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है ) के उदय से हुआ। देवों के देव महादेव के वेशभूषा की बात की जाए तो वह अपनी हर छवि में एक विशेष वेशभूषा में नजर आते हैं। इसके पीछे एक रहस्य भी बताया जाता है।
चन्द्रमा : भगवान शिव का एक नाम ‘सोम’ भी है। सोम का अर्थ चन्द्र होता है। शिव जी का दिन सोमवार है। चन्द्रमा मन का कारक है। शिव द्वारा चन्द्रमा को धारण करना मन के नियंत्रण का भी प्रतीक है।
त्रिशूल : भगवान भोले की आप तस्वीर देखते हैं तो उनके पास हमेशा एक त्रिशूल होता है। यह बहुत ही अचूक और घातक अस्त्र था। इसकी शक्ति के आगे कोई भी शक्ति रुक नहीं सकती। त्रिशूल 3 प्रकार के कष्टों दैनिक, दैविक, भौतिक के विनाश का सूचक भी है। इसमें 3 तरह की शक्तियां सत, रज और तम हैं।
डमरू : सभी हिन्दू देवी और देवताओं के पास एक न एक वाद्य यंत्र अवश्य रहता है। उसी तरह भगवान भोले के पास डमरू था, जो नाद का प्रतीक है। भगवान शिव को संगीत का जनक भी माना जाता है।
जटाएं : भगवान शिव को अंतरिक्ष का देवता भी कहा जाता हैं। उनका नाम व्योमकेश भी है अत: आकाश उनकी जटास्वरूप है। जटाएं वायुमंडल की प्रतीक हैं। वायु आकाश में व्याप्त रहती है।
तीन नेत्र : भगवान शिव को ‘त्रिलोचन’ कहते हैं यानी उनकी तीन आंखें हैं। प्रत्येक मनुष्य की भौहों के बीच तीसरा नेत्र रहता है। शिव का तीसरा नेत्र हमेशा जाग्रत रहता है, लेकिन बंद। यदि आप अपनी आंखें बंद करेंगे तो आपको भी इस नेत्र का अहसास होगा।
Maha Shivratri 2020: महाशिवरात्रि पर क्या करें और क्या न करें, जानें कब है महाशिवरात्रि