‘दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल। आंधी में भी जलती रही गांधी तेरी मशाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।’ देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को ध्यान में रखते हुए जब इन पंक्तियों का गुनगुनाया जाता है तो अनायास ही बापू का शांत मगर ओजस्वी चेहरा हमारी यादों में जिंदा हो जाता है। 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है। शहीद दिवस पर हम राष्ट्रपिता के साथ-साथ देश के शहीदों को भी याद कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस दिन हम उन महापुरुषों को भी याद करते हैं जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए हंसते-हंसते देश पर अपनी जान न्योछावर कर दी। कई देशों में इस दिन को अहिंसा और शांति के दिन के रूप में भी जाना जाता है।
30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गोडसे ने बापू को तीन गोलियां मारी थीं। गोडसे का कहना था कि वह महात्मा गांधी के उस फैसले के खिलाफ था जिसके मुताबिक, बापू चाहते थे कि भारत की ओर से पाकिस्तान को आर्थिक मदद मुहैया कराई जाए। पाकिस्तान को मदद दिए जाने को लेकर महात्मा गांधी ने उपवास भी रखा था। वारदात के बाद गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया था और 15 नवंबर, 1949 को उसे अंबाला जेल में फांसी दे दी गई। बापू भले ही आज दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके विचार आज भी देश की रग-रग में जिंदा हैं। हिंदी, प्रेम, धर्म और स्वच्छता पर बापू के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। जानिए महात्मा गांधी के 10 अनमोल विचार।
1- हृदय की कोई भाषा नहीं है। हृदय-हृदय से बातचीत करता है और हिंदी हृदय की ही भाषा है।
2- राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को प्रयोग में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए बेहद आवश्यक है।
3- पाप से घृणा करो लेकिन पापी से प्यार करो, जिससे वह पाप करना ही छोड़ दे।
4- प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं, उसमें सबसे नम्र है।
5- जिस दिन प्रेम की शक्ति..शक्ति के प्रेम को रद्द कर देगी, उस दिन दुनिया शांति को जान पाएगी।
6- मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे पाने का साधन है।
7- केवल प्रसन्नता ही मनुष्य का एकमात्र इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़कते हैं तो उसकी कुछ बूंदें अवश्य ही आप पर भी पड़ती हैं।
8- अपनी गलती को स्वीकार करना झाड़ू लगाने के समान है, जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ कर देती है।
9- देश में राजनीतिक स्वतंत्रता से ज्यादा स्वच्छता जरूरी है।
10- स्वच्छता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो जिससे वह आपकी आदत बन जाए।
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